- भारत की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश में 63 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी की ‘2024 में कोयला बनाम नवीकरणीय ऊर्जा निवेश’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में वित्त में 2022 के स्तर की तुलना में 2023 में 63 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो बढ़कर 30,255 करोड़ रुपये ($3.66 बिलियन) हो गई।
- इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के परियोजना वित्त ऋण में वृद्धि हुई है, लेकिन लगातार तीसरे वर्ष नई कोयला बिजली परियोजनाओं को कोई परियोजना वित्त ऋण नहीं दिया गया। हालांकि, कोयला बिजली और खनन कंपनियों को कॉर्पोरेट वित्त ऋण कुल 3 बिलियन डॉलर था।
- 2023 में अक्षय ऊर्जा सौदों में सौर ऊर्जा परियोजनाओं का दबदबा रहा, जो कुल सौदों का 49 प्रतिशत था, इसके बाद हाइब्रिड परियोजनाओं का 46 प्रतिशत और पवन ऊर्जा का 6 प्रतिशत था।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2023 में 188 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल कर ली है।
- वाणिज्यिक बैंकों ने अक्षय ऊर्जा ऋणों का 68 प्रतिशत प्रदान किया, जो कुल 20,625 करोड़ रुपये ($2,497 मिलियन) था।
- राज्यवार आंकड़े बताते हैं कि गुजरात को वित्तपोषित क्षमता का 25 प्रतिशत प्राप्त हुआ, जो 9,857 करोड़ रुपये (1,193 मिलियन डॉलर) है, उसके बाद कर्नाटक को 4,593 करोड़ रुपये (556 मिलियन डॉलर) मिले।
- भारत ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर के दौरान लगभग 15 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता और स्थापित किया है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान स्थापित क्षमता का लगभग दोगुना है।
- गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षेत्र में भारत की कुल स्थापित क्षमता 214 गीगावाट तक पहुंच गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है।