भूमि अधिग्रहण कानून: एक विस्तृत अवलोकन
भूमि अधिग्रहण कानून की आवश्यकता क्यों है? देश के विकास के लिए औद्योगीकरण और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बढ़ावा देना आवश्यक है। हालांकि, यह भी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस प्रक्रिया में समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा हो। भूमि अधिग्रहण में सरकार निम्नलिखित भूमिकाएँ निभाती है: भूमि अधिग्रहण के कानूनी प्रावधान भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 ब्रिटिश शासन के दौरान भूमि अधिग्रहण के लिए 1894 में एक अधिनियम पारित किया गया था। इस अधिनियम के तहत सरकार को भूमि अधिग्रहण के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन करना होता था: 1894 के अधिनियम की कमियाँ भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 इस अधिनियम को “भूमि अधिग्रहण, पुनरुद्धार और पुनर्वासन में उचित प्रतिकार तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013” (Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013) के नाम से जाना जाता है। यह अधिनियम 1894 के पुराने कानून की कमियों को दूर करने के लिए लागू किया गया। अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भूमि अधिग्रहण से जुड़ी चुनौतियाँ निष्कर्ष भूमि अधिग्रहण देश के विकास के लिए एक आवश्यक प्रक्रिया है। हालाँकि, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि प्रभावित लोगों के हितों की रक्षा हो और उन्हें उचित मुआवजा और पुनर्वास सहायता प्रदान की जाए। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। फिर भी, भूमि अधिग्रहण से जुड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए सरकार और समाज को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।