- कश्मीर के हस्तशिल्प को ‘शिल्प की प्रामाणिकता की मुहर’ दिए जाने की घोषणा श्रीनगर में विश्व शिल्प परिषद (WCC) की 60वीं वर्षगांठ के दौरान की गई। यह प्रमाणन जम्मू और कश्मीर के हस्तनिर्मित शिल्प को मान्यता देता है, जो सदियों से इस्तेमाल किए जाने वाले पारंपरिक तरीकों को दर्शाता है। यह मान्यता कारीगरों को सशक्त बनाएगी और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में सहायक होगी। इस कार्यक्रम में 15 देशों के कारीगर शामिल हुए।
- विश्व शिल्प परिषद (WCC) की ‘प्रामाणिकता की मुहर’ कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त मानक स्थापित करना है, जो शुरू में कपड़ा उद्योग पर केंद्रित है। डब्ल्यूसीसी के अध्यक्ष साद अल कद्दूमी ने कहा कि यह पहल गुणवत्ता और स्वामित्व को बढ़ावा देती है।
- ज्ञात हो हाल ही में विश्व शिल्प परिषद (WCC) द्वारा श्रीनगर को ‘विश्व शिल्प शहर’ के रूप में नामित किया गया था।
- विश्व शिल्प परिषद (WCC) की योजना श्रीनगर में ‘विश्व शिल्प केंद्र’ और एक अंतर्राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय बनाने की है। इन परियोजनाओं के लिए सरकारी सहायता महत्वपूर्ण है। इस पहल का उद्देश्य शहर की वैश्विक शिल्प केंद्र के रूप में स्थिति को बढ़ावा देना है।
विश्व शिल्प परिषद (WCC)
- विश्व शिल्प परिषद विश्व स्तर पर कारीगरों को बढ़ावा देती है। यह विरासत को संरक्षित करने और शिल्पकारों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है।
- WCC का उद्देश्य ‘प्रामाणिकता की मुहर’ जैसी पहलों के माध्यम से शिल्प कौशल को बढ़ाना है।
प्रामाणिकता की मुहर
- यह प्रमाणन हस्तनिर्मित शिल्प के लिए गुणवत्ता की गारंटी देता है।
- यह विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में उपयोग की जाने वाली पारंपरिक विधियों को चिह्नित करता है।
- इस मुहर का उद्देश्य इन शिल्पों के लिए वैश्विक मान्यता को बढ़ाना है।