- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 18 दिसंबर को विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया, जो 1992 में धार्मिक, भाषाई, राष्ट्रीय या जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के वक्तव्य को अपनाने का प्रतीक है।
अल्पसंख्यक की परिभाषा
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम (1992) अल्पसंख्यक को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित समुदाय के रूप में परिभाषित करता है।
- रत में अल्पसंख्यकों में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन शामिल हैं।
- टीएमए पाई केस (2002) मे सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अल्पसंख्यक का निर्धारण किसी राज्य की जनसांख्यिकी से होता है, न कि पूरे देश की आबादी से।
संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 29: नागरिकों को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार देता है, जो अल्पसंख्यकों और बहुसंख्यकों दोनों पर लागू होता है।
- अनुच्छेद 30: सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार है।
- अनुच्छेद 350-बी: भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए एक विशेष अधिकारी का प्रावधान करता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा 7वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 के माध्यम से नियुक्त किया जाता है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM)
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना 1992 में, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के माध्यम से की गई थी।
- पहला वैधानिक राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग 1993 में स्थापित किया गया था, जिसने मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में मान्यता दी थी। 2014 में जैनियों को इसमें शामिल किया गया।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जो सभी अल्पसंख्यक समुदायों से होते हैं।
- प्रत्येक सदस्य पदभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष तक कार्य करता है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के कार्य
- संघ और राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना।
- संविधान और कानून के अनुसार अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा उपायों की निगरानी करना।
- प्रधानमंत्री के 15 सूत्री कार्यक्रम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना।
- अधिकारों के उल्लंघन के बारे में शिकायतों का समाधान करना और उचित कार्रवाई करना।
- सांप्रदायिक संघर्षों और दंगों की जाँच करना।