मिजोरम में खोजी गई ऑर्किड की नई प्रजाति Chamaegastrodia reiekensis

मिजोरम में खोजी गई ऑर्किड की नई प्रजाति Chamaegastrodia reiekensis

चर्चा में क्यों?

  • नवीनतम वैज्ञानिक खोज में मिजोरम विश्वविद्यालय और मणिपुर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मिजोरम के जंगलों में Chamaegastrodia reiekensis नामक ऑर्किड की एक नई और दुर्लभ प्रजाति की पहचान की है।
  • यह खोज उत्तर-पूर्व भारत की जैव विविधता और रीयेक क्षेत्र (Reiek region) की पारिस्थितिकीय विशिष्टता को उजागर करती है।

खोज और पहचान

  • यह नई प्रजाति मिजोरम की रीयेक चोटी के पास 1,500 मीटर की ऊँचाई पर पाई गई।
  • यह पौधा नम, ह्यूमस-समृद्ध मिट्टी में उगता है और बांस के झुरमुटों के निकट पाया जाता है।
  • वैज्ञानिकों द्वारा किए गए गहन स्वरूपीय (morphological) विश्लेषण से यह पुष्टि हुई कि यह Chamaegastrodia वंश की एक अलग और नई प्रजाति है।
  • यह प्रजाति Chamaegastrodia वंश की अब तक ज्ञात आठवीं प्रजाति है।
  • मिजोरम में Chamaegastrodia वंश का यह पहला रिकॉर्ड है।

वनस्पति विशेषताएँ

  • Chamaegastrodia reiekensis में पत्तियाँ और क्लोरोफिल दोनों नहीं पाए जाते।
  • यह पौधा पूर्णतः भूमिगत कवकों (फंगस) के साथ सहजीवी संबंध के माध्यम से पोषण प्राप्त करता है, जिससे यह होलोमाइकोट्रॉफिक (holomycotrophic) बनता है।
  • प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) करने की इसकी कोई क्षमता नहीं होती।
  • यह पौधा छोटे आकार का होता है और उसका रंग पर्यावरण से मेल खाता है, जिससे इसे जंगल में पहचानना मुश्किल होता है।
  • यह प्रजाति अगस्त से सितंबर के बीच फूल देती है और सितंबर से अक्टूबर के बीच फल उत्पन्न करती है।
  • इसका जीवनकाल और उपस्थिति बहुत संक्षिप्त होती है, जिससे इसे अध्ययन में कठिनाई होती है।

पारिस्थितिकीय महत्व

  • रीयेक का वन क्षेत्र इंडो-बर्मा जैव विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है।
  • इस क्षेत्र में बहुस्तरीय वन संरचना, ऊँचे वृक्ष और घना अंडरस्टोरी वनस्पति मौजूद हैं।
  • यहाँ का तापमान 20°C से 28°C के बीच और वार्षिक वर्षा 200 से 250 सेमी होती है।
  • यह क्षेत्र विविध पौधों विशेषतः ऑर्किड प्रजातियों का समर्थन करता है।
  • Chamaegastrodia reiekensis और हाल ही में खोजी गई एक अन्य प्रजाति Aeschynanthus reiekensis की खोज इस क्षेत्र की असाधारण पौध विविधता को दर्शाती है।

संरक्षण स्थिति और चुनौतियाँ

  • Chamaegastrodia reiekensis को IUCN मापदंडों के अनुसार गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) की श्रेणी में रखा गया है।
  • इसका संपूर्ण जीवन सहजीवी फंगस पर निर्भर है, जिससे यह पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनता है।
  • यदि इसके आवास में किसी भी प्रकार की क्षति या हस्तक्षेप हुआ, तो यह प्रजाति विलुप्त हो सकती है।
  • इस प्रजाति के संरक्षण के लिए वन क्षेत्र की रक्षा और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

क्षेत्रीय जैव विविधता का महत्व

  • उत्तर-पूर्व भारत विशेष रूप से ऑर्किड की विविधता के लिए जाना जाता है।
  • मिजोरम में ही लगभग 273 ऑर्किड प्रजातियाँ 74 वंशों में पाई जाती हैं।
  • Chamaegastrodia reiekensis की खोज इस क्षेत्र को वनस्पति अनुसंधान और संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित करती है।
  • यह खोज इस बात की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है कि हमें इस क्षेत्र की अनोखी पारिस्थितिकी का और गहन अध्ययन करना चाहिए।

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