
- भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में राष्ट्रीय वार्षिक रिपोर्ट और सूचकांक (National Annual Report and Index on women safety– NARI 2025) जारी किया है।
- इस रिपोर्ट का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और समान अवसरों से संबंधित विभिन्न पहलुओं का आकलन करना है।
मुख्य बिंदु
रिपोर्ट का उद्देश्य
- यह रिपोर्ट महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण से जुड़े प्रयासों का राज्यवार तुलनात्मक आकलन प्रस्तुत करती है।
- इसका मकसद महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और समान अवसर वाला वातावरण बनाना तथा नीति निर्माण में ठोस दिशा प्रदान करना है।
तैयारी और आधार
- रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है। इसका निर्माण Group of Intellectuals and Academicians (GIA), Pvalue Analytics, The NorthCap University और Jindal Global Law School ने सहयोगात्मक रूप से किया है।
- रिपोर्ट 12,770 महिलाओं पर किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें भारत के 31 प्रमुख शहर शामिल किये गए हैं।
- इसमें राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (NCRB), राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS), राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) और विभिन्न मंत्रालयों से प्राप्त आंकड़ों का भी उपयोग किया गया है।
NARI 2025 सूचकांक का स्वरूप
- NARI 2025 में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण को मापने के लिए 6 विषयगत आयाम और 18 संकेतक शामिल किए गए हैं।
मुख्य आयामों में –
- कानून एवं न्याय तक पहुंच
- सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा
- कार्यस्थल पर समान अवसर
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं
- सामाजिक दृष्टिकोण और जागरूकता
- शिकायत निवारण तंत्र की प्रभावशीलता शामिल हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर और वर्गीकरण
- देश का राष्ट्रीय सुरक्षा स्कोर 65% निर्धारित किया गया है। शहरों को इस आधार पर चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है – “बहुत ऊपर (much above)”, “ऊपर (above)”, “नीचे (below)”, और “बहुत नीचे (much below)”।
महिलाओं की सुरक्षा धारणा
- सर्वे में लगभग 60% महिलाएं अपने शहर में सुरक्षित महसूस करती हैं, जबकि 40% महिलाओं ने “कुछ हद तक असुरक्षित” या “असुरक्षित” होने की बात कही है।
प्रमुख अनुभव और संदर्भ व्यप्राप्ति (Perception vs Crime Data)
- लगभग 7% महिलाओं ने 2024 में सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न की घटना दर्ज की। यह आँकड़ा NCRB की रिपोर्टिंग के अपेक्षाकृत अधिक है।
- 18–24 वर्ष की उम्र वर्ग में यह अनुपात दोगुना, यानि लगभग 14%, रहा है।
- उत्पीड़न के सबसे आम स्वरूप में मौखिक उत्पीड़न (जैसे घूरना, कैट-कॉलिंग, अभद्र टिप्पणियाँ) शामिल है।
- उत्पीड़न सबसे अधिक पड़ोस (38%) और सार्वजनिक परिवहन (29%) स्थानों पर हुआ।
दिन और रात का अंतर
- दिन के समय, शैक्षणिक संस्थानों में 86% महिलाओं को सुरक्षित महसूस हुआ।
- रात में, विशेषकर सार्वजनिक परिवहन और मनोरंजन स्थलों में सुरक्षा की भावना उल्लेखनीय रूप से कम हो जाती है।
- कार्यस्थलों को लेकर, 91% महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं, लेकिन लगभग आधी महिलाएं यह नहीं जानती कि उनके कार्यस्थल पर POSH नीति (Prevention of Sexual Harassment) लागू है या नहीं।
आधिकारिक रिपोर्टिंग और विश्वास की कमी
- दो-तिहाई महिलाएँ उत्पीड़न की घटनाओं की रिपोर्ट नहीं करतीं; केवल लगभग 1/3 ने ही शिकायत दर्ज कराई, जिससे आधिकारिक आँकड़ों में अनेक घटनाएं गायब रहती हैं।
- नारी रिपोर्ट में महिलाएँ यह बताती हैं कि संस्थागत प्रतिक्रिया में विश्वास का अभाव है – केवल 25-33% महिलाएँ ही शिकायत का प्रभावी निवारण संभव मानती हैं।
नारी रिपोर्ट का महत्व (Exam Point-of-View)
- यह रिपोर्ट महिला सुरक्षा संबंधी प्रथम समग्र ष्ट्रीय सर्वे-आधारित इंडेक्स है, जो केवल अपराध की घटनाओं से परे जाकर महिलाओं की निजी भावना और वास्तविकता को उजागर करती है।
- यह न केवल राज्य सरकारों के प्रदर्शन का तुलनात्मक मूल्यांकन करती है, बल्कि महिला सुरक्षा से जुड़ी नीतियों और योजनाओं की प्रभावशीलता पर भी प्रकाश डालती है।
निष्कर्ष
- महिला सुरक्षा सूचकांक (NARI) 2025 में नागालैंड की राजधानी कोहिमा और मुंबई को भारत के सबसे सुरक्षित शहरों में शामिल किया गया है। इसके विपरीत, दिल्ली, कोलकाता और पटना को महिलाओं के लिए सबसे कम सुरक्षित शहरों के रूप में स्थान मिला है।
- केरल और तमिलनाडु ने महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
- बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश को सबसे कमजोर राज्यों में रखा गया है, जहाँ महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति अपेक्षाकृत खराब पाई गई।
- रिपोर्ट बताती है कि महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने में राज्यों के बीच भारी असमानता बनी हुई है।
