
- भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की 20% एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) नीति के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें कहा गया था कि इस मिश्रण से ऐसे लाखों वाहन प्रभावित होंगे जो इसके लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं, जिससे इंजन को नुक़सान और ईंधन की कार्यक्षमता में गिरावट हो सकती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का रुख स्वीकार करते हुए वाहन चालकों को शुद्ध पेट्रोल का विकल्प उपलब्ध कराने की मांग को खारिज कर दिया।
- सुप्रीम कोर्ट की खारिज करने वाली बेंच मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवै और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन, ने केंद्र सरकार की नीति का पक्ष लिया। केंद्र ने बताया कि E20 नीति का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना, विदेशी ईंधन पर निर्भरता कम करना, और ईथेनॉल उत्पादक गन्ना किसानों का समर्थन करना है।
- अधिवक्ता की वाहन अनुकूलता संबंधी चिंताओं पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि E20 नीति सावधानीपूर्वक तैयार की गई है और इसके पीछे कोई “मनमाना” निर्णय नहीं है।
- अत: अब देशभर में E20 पेट्रोल की ही अनिवार्य उपलब्धता होगी; शुद्ध (एथनॉल-रहित) पेट्रोल का कोई विकल्प नहीं रहेगा।
E20 पेट्रोल क्या है?
- E20 पेट्रोल दरअसल 80% नॉर्मल पेट्रोल और 20% इथेनॉल मिलाकर बनाया जाता है।
- इथेनॉल गन्ने, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों से तैयार होता है।
- इस ईंधन से प्रदूषण कम होता है, किसानों की कमाई बढ़ती है और बाहर से तेल मंगाने की जरूरत भी घट जाती है।
E20 पेट्रोल के फायदे
- पर्यावरणीय लाभ – इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है और वायु प्रदूषण घटता है।
- ऊर्जा सुरक्षा – आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता घटती है।
- कृषि क्षेत्र को समर्थन – इथेनॉल उत्पादन से गन्ना, मक्का और अन्य फसलों के किसानों की आमदनी बढ़ती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा – यह जीवाश्म ईंधनों का एक टिकाऊ विकल्प है।
E20 पेट्रोल की चुनौतियाँ
- वाहन संगतता (Vehicle Compatibility) – पुराने वाहन या वे इंजन जो E20 के लिए डिज़ाइन नहीं हैं, उनमें तकनीकी समस्याएँ आ सकती हैं।
- ईंधन दक्षता (Fuel Efficiency) – पेट्रोल की तुलना में इसमें थोड़ी कम ऊर्जा घनत्व (energy density) होती है, जिससे माइलेज प्रभावित हो सकता है।
- भंडारण और वितरण – एथनॉल पानी को अवशोषित करता है, इसलिए पेट्रोल पंपों और टैंकों में विशेष रखरखाव की ज़रूरत होगी।
- कृषि दबाव – बड़े पैमाने पर एथनॉल उत्पादन के लिए गन्ने और मक्का जैसी फसलों पर निर्भरता बढ़ेगी, जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।