- देश की जानी मानी बैगा चित्रकार जोधइया बाई बैगा का कल शाम मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित उनके ग्राम लोढ़ा में निधन हो गया। वह करीब 86 वर्ष की थीं और 11 महीनों से बीमार चल रहीं थीं।
- इन्होने बैगा चित्रकारी को विश्व प्रसिद्धि दिलाई। इन्होने कैनवास और कागज़ पर पेंटिंग के साथ मिट्टी, धातु और लकड़ी जैसे अन्य माध्यमों का भी इस्तेमाल किया। इनके चित्र महुआ के पेड़ जैसे स्थानीय बैगा रूपांकनों से प्रेरित हैं।
- इनकी कलात्मक शैली की तुलना गोंड चित्रकार जंगढ़ सिंह श्याम से की जाती है।
- इन्होने उम्र को सिर्फ एक संख्या सिद्ध करते हुए 67 वर्ष की आयु में अपने पति के निधन के बाद चित्रकारी सीखी और बैगा चित्रकारी को विश्व प्रसिद्धि दिलाई।
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कला क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिये इन्हें वर्ष 2023 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
- इससे पूर्व वर्ष 2022 में इनके कार्य की सराहना करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया था।
- जोधइया बाई की बनाई पेंटिंग इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, जापान सहित अन्य देशों में प्रदर्शनी लगाई जा चुकी हैं।
- मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय भोपाल में जोधइया बाई के नाम से एक स्थाई दीवार बनी हुई है, जिस पर इनके बनाए चित्र लगे हैं।
- उनकी कला ने आदिवासी कला को वैश्विक पहचान दी।
- यह कला जगत के लिए बड़ी क्षति है।