
- बेंगलुरु के आस-पास तेंदुओं की संख्या का अनुमान लगाने, खंडित पारिस्थितिक क्षेत्रों में आवास उपयोग और गति पैटर्न का अध्ययन करने ओर मानव-तेंदुआ सह-अस्तित्व के लिए वैज्ञानिक संरक्षण रणनीतियाँ सुझाने के उद्देश्य से होलेमट्ठी नेचर फाउंडेशन ने कैमरा ट्रैप सर्वे किया था।
- सर्वे के अनुसार बेंगलुरु मेट्रो सिटी में 80- 85 तेंदुआ रिकॉर्ड किए गए।
- जो मुम्बई में तेंदुओं की ज्ञात आबादी (54 तेंदुएं) से अधिक है।
होलेमट्ठी नेचर फाउंडेशन (HNF) द्वारा किए गए एक साल लंबे सर्वेक्षण का निष्कर्ष
- सर्वे के अनुसार बेंगलुरु मेट्रो सिटी में 80- 85 तेंदुआ रिकॉर्ड किए गए। जिसमें 54 तेंदुए बनरगट्टा राष्ट्रीय उद्यान (BNP) में ओर लगभग 30 तेंदुए अन्य मेट्रो क्षेत्र के किनारे रिकॉर्ड किए गए।
- इस सर्वेक्षण के दौरान 34 स्तनधारी प्रजातियां कैमरे में कैद हुईं, जिनमें से IUCN रेड लिस्ट में 4 प्रजातियां संकटग्रस्त (Endangered) और 4 प्रजातियां निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) में शामिल हैं।
होलेमट्ठी नेचर फाउंडेशन (HNF) की सिफारिशें
- बी.एम. कावाल, यू.एम. कावाल, रोएरिच एस्टेट और गोल्लाहल्ली गुड्डा को संरक्षण रिजर्व घोषित किया जाए।
- दुर्गडकाल RF, बेट्टहल्लीवाड़े RF, और जे.आई. बछल्ली तथा एम. मणियंबाल के अघोषित वन को BNP में जोड़ा जाए।
- मुनेश्वरबेट्टा-बनरगट्टा कॉरिडोर का संरक्षण किया जाए।
- BNP में भविष्य में तेंदुओं के स्थानांतरण से बचा जाए।
- स्थानीय समुदायों में जागरूकता बढ़ाई जाए और वन्यजीव कॉरिडोर को समर्थन दिया जाए।
अध्ययन का महत्त्व
- यह दर्शाता है कि बेंगलुरु जैसे शहरी क्षेत्र भी जैव विविधता से समृद्ध हो सकते हैं।
- यदि नीति मजबूत हो तो शहरीकरण और बाघ जैसे बड़े शिकारी एक साथ रह सकते हैं।
- यह अध्ययन अन्य महानगरों के लिए एक मॉडल बन सकता है कि कैसे विकास और पारिस्थितिकीय संतुलन एक साथ चल सकते हैं।