- यह बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में बहने के लिए एक बड़ा यू-टर्न लेती है।
- चीन ने भारतीय सीमा के करीब तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी इंफ्रा परियोजना बताया जा रहा है। जिसकी लागत करीब 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगी। इसके निर्माण की खबर से ब्रहमपुत्र नदी के किनारे बसे भारत और बांग्लादेश की चिंता बढ़ गई है।
- चीनी सरकार ने ब्रह्मपुत्र के तिब्बती नाम यारलुंग जांगबो नदी के निचले इलाकों में एक जलविद्युत परियोजना के निर्माण को मंजूरी दे दी है। यह बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में बहने के लिए एक बड़ा यू-टर्न लेती है।
- याद हो चीन का थ्री गॉर्जेस बांध दुनिया में सबसे बड़ा बांध है।
- भारत में इस बांध के निर्माण से चिंताएँ पैदा हो गयी है, क्योंकि यह बांध चीन को जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए सशक्त बनाने के अलावा, युद्ध के समय रणनीति के तौर और सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ के लिए बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने में भी सक्षम बना सकता है।
- याद रहे भारत भी अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र पर एक बांध बना रहा है।भारत और चीन ने सीमा पार नदियों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 2006 में विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ELM) की स्थापना की, जिसके तहत चीन बाढ़ के मौसम के दौरान भारत को ब्रह्मपुत्र नदी और सतलुज नदी पर जल विज्ञान संबंधी जानकारी प्रदान करता है।
- ब्रह्मपुत्र बांध भारी इंजीनियरिंग चुनौतियां पेश करता है क्योंकि परियोजना स्थल टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अकसर भूकंप आते हैं।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, जलविद्युत स्टेशन से हर साल 300 बिलियन kWh से अधिक बिजली पैदा होने की उम्मीद है, जो 300 मिलियन से अधिक लोगों की वार्षिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।