तमिलनाडु में समुद्र के ऊपर ऐतिहासिक कांच के पुल का उद्घाटन

तमिलनाडु में समुद्र के ऊपर ऐतिहासिक कांच के पुल का उद्घाटन

चर्चा मे क्यों?

  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने हाल ही में समुद्र के ऊपर, कन्याकुमारी में तिरुवल्लुवर प्रतिमा और विवेकानंद रॉक मेमोरियल को जोड़ने वाले कांच पुल का आधिकारिक रूप से उद्घाटन किया।
  • यह कांच का पुल दो ऐतिहासिक स्थलों के बीच संपर्क को बढ़ावा देगा।
  • यह उद्घाटन तिरुवल्लुवर प्रतिमा के रजत जयंती समारोह (25वीं वर्षगांठ) पर किया गया, जो सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गया है।

पुल की विशिष्टताएँ

  • कांच का पुल 77 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा है, जिसे ₹37 करोड़ की लागत से बनाया गया है।
  • यह आगंतुकों को नीचे समुद्र के दृश्यों का आनंद लेते हुए दो ऐतिहासिक स्थलों के बीच चलने की अनुमति देता है।
  • यह पुल समुद्र के कम ज्वार के कारण होने वाली परिवहन समस्याओं को दूर करता है, जो पहुँच का एक विश्वसनीय साधन प्रदान करेगा।

तिरुवल्लुवर प्रतिमा के मुख्य तथ्य

  • यह प्रतिमा 1 जनवरी, 2000 को जनता के लिए खोली गई थी।
  • प्रतिमा की ऊँचाई 133 फीट है, जो तिरुवल्लुवर की महान कृति तिरुक्कुरल के 133 अध्यायों का प्रतीक है।
  • यह तमिल संस्कृति और तिरुक्कुरल के संदेश “जन्म से सभी समान हैं” का प्रतिनिधित्व करती है।
  • यह प्रतिमा तमिलनाडु के कन्याकुमारी में समुद्र के बीच एक चट्टान पर स्थित है, जो विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास है।
  • इस प्रतिमा को प्रसिद्ध मूर्तिकार **वी. गणपति स्थापति द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
  • इसका निर्माण 7,000 टन वजन वाले पत्थरों से किया गया है।
  • यह प्रतिमा 2004 की सुनामी सहित कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर चुकी है और तमिलनाडु के लिए दृढ़ता और स्थायित्व का प्रतीक है।
  • हाल ही में इस प्रतिमा का आधिकारिक नाम बदलकर स्टैच्यू ऑफ विजडम (Statue of Wisdom) कर दिया गया है।
  • यह प्रतिमा तमिल लोगों के लिए गर्व और पहचान का प्रतीक है, जो तिरुवल्लुवर के सामाजिक और नैतिक न्याय के दर्शन को मूर्त रूप देती है।
  • यह स्थान देश-विदेश के पर्यटकों और तमिल साहित्य के प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
  • तिरुवल्लुवर प्रतिमा तमिल संस्कृति, साहित्य और सामाजिक न्याय के आदर्शों का एक प्रेरणादायक प्रतीक है।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल के मुख्य तथ्य

  • विवेकानंद रॉक मेमोरियल तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित है।
  • यह भारत के सबसे दक्षिणी छोर पर वावथुराई की मुख्य भूमि से लगभग 500 मीटर दूर समुद्र में दो चट्टानों में से एक पर बना है।
  • यह स्मारक लक्षद्वीप सागर से घिरा हुआ है, जहाँ बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर का संगम होता है।
  • स्मारक का निर्माण 1970 में स्वामी विवेकानंद के सम्मान में किया गया था।
  • कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने इस चट्टान पर ध्यान किया और उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ।
  • यह स्थान उनके जीवन और दर्शन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थल है।
मुख्य संरचनाएँ
  1. विवेकानंद मंडपम – स्वामी विवेकानंद को समर्पित एक हॉल।
  2. श्रीपाद मंडपम – देवी कन्याकुमारी के पवित्र पदचिह्नों की स्थापना के लिए निर्मित।
  3. ध्यान मंडपम – ध्यान और योग के लिए विशेष कक्ष।
  • यह स्थल न केवल आध्यात्मिकता और इतिहास का प्रतीक है, बल्कि स्थापत्य कला और प्राकृतिक सौंदर्य का उत्कृष्ट उदाहरण भी है।
  • विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यहाँ तक पहुँचने के लिए नाव सेवा उपलब्ध है।
  • यह स्मारक भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रतीक है।

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