
- समुद्र का बढ़ता स्तर जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक असर है। इसका सबसे अधिक प्रभाव तटीय क्षेत्रों और प्रवाल भित्तियों (coral reefs) पर पड़ता है।
- हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि समुद्र-स्तर में तेजी केवल 1990 से नहीं, बल्कि 1950 के दशक के अंत से शुरू हुई थी, विशेष रूप से हिंद महासागर के मध्य हिस्से में।
प्रवाल भित्तियों और समुद्र-स्तर वृद्धि का संबंध:
- समुद्र का बढ़ता स्तर सूर्य की रोशनी को प्रवाल तक पहुँचने से रोकता है, जिससे coral bleaching होता है। इसके साथ ही ज्वार-भाटा के पैटर्न में बदलाव, तटीय कटाव और गर्म जल व अम्लता पहले से ही इन संवेदनशील प्रणालियों पर दबाव डाल रहे हैं। समुद्र-स्तर वृद्धि इस दबाव को और बढ़ा देती है।
अध्ययन का तरीका:
- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के प्रो. पॉल केन्च और उनकी टीम ने मालदीव के हुवाहु एटोल पर Porites माइक्रोएटोल प्रवाल का विश्लेषण किया। यह प्रवाल केवल स्थिर जलस्तर में बढ़ता है और इसके साल-दर-साल बढ़ने वाले रिंग्स पेड़ों की उम्र जैसी होती हैं।
- टीम ने 1930 से 2019 तक का डेटा एकत्र किया और यूरेनियम-थोरियम डेटिंग व X-ray स्कैनिंग से प्रवाल के बढ़ने और मरने का सटीक समय रिकॉर्ड किया।
मुख्य निष्कर्ष:
- 1930–2019 के बीच समुद्र का स्तर लगभग 0.3 मीटर बढ़ा।
- वृद्धि की दर समय के साथ बढ़ी:
- 1930–1959: 1–1.84 मिमी/वर्ष
- 1960–1992: 2.76–4.12 मिमी/वर्ष
- 1990–2019: 3.91–4.87 मिमी/वर्ष
- इसका मतलब है कि मालदीव, लक्षद्वीप और चागोस द्वीप पिछले 60 वर्षों से बढ़ते समुद्र स्तर का सामना कर रहे हैं।
पर्यावरणीय संकेत:
- माइक्रोएटोल प्रवाल ने केवल समुद्र-स्तर बल्कि जलवायु घटनाओं जैसे El Niño और नकारात्मक Indian Ocean Dipole के प्रभाव भी रिकॉर्ड किए।
- 18.6-वर्षीय चंद्र नोडल चक्र का असर भी प्रवाल में दिखाई दिया, जो ज्वार-भाटे और समुद्र-स्तर में लंबी अवधि के उतार-चढ़ाव लाता है।
- ग्लोबल सी लेवल ऑब्जर्विंग सिस्टम (GLOSS) समुद्र-स्तर की निगरानी करता है।
महत्त्व:
- यह अध्ययन कम डेटा वाले क्षेत्रों, जैसे हिंद महासागर के मध्य भाग, के लिए बेहद उपयोगी है। यह भविष्यवाणियों को स्थानीय और ऐतिहासिक दृष्टि से सटीक बनाता है।
- छोटे द्वीप देशों के लिए यह जानकारी जीवन और अवसंरचना को समुद्र-स्तर वृद्धि से बचाने में मदद कर सकती है।
निष्कर्ष:
- प्रवाल भित्तियाँ अब केवल पारिस्थितिकी का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि जलवायु इतिहास की जीवित पुस्तकें बन गई हैं। यह अध्ययन चेतावनी देता है कि समुद्र धीरे-धीरे, लेकिन लगातार बढ़ रहा है, और प्रवाल भित्तियों ने इस खतरे की आगाह कर दी है।
हुवाधू एटोल, मालदीव
हुवाधू एटोल गाफू अलिफ़ और गाफू धाल प्रशासनिक प्रभागों का हिस्सा है। यह मालदीव के सबसे दक्षिणी एटोलों में से एक है और हिंद महासागर के सुवाडिवा चैनल के दक्षिण में स्थित है। एटोल गोताखोरों और स्नॉर्कलिंग प्रेमियों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ गुफाएँ, खड़ी ढलानें और रंग-बिरंगे मूंगे देखने को मिलते हैं। पानी के नीचे की प्राकृतिक सुंदरता और विविध समुद्री जीवन इसे आकर्षक बनाते हैं। पर्यटक यहाँ गोताखोरी, स्नॉर्कलिंग और प्राकृतिक दृश्यों का अनुभव कर सकते हैं। |