रुपये मे ऐतिहासिक गिरावट
- गुरुवार (19 दिसंबर 2024) को भारतीय रुपया पहली बार 85 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे फिसल गया।
- रुपया 12 पैसे की गिरावट के साथ 85.0675 प्रति डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा।
तेजी से गिरावट का विश्लेषण
- रुपये का 85 से 84 तक पहुंचने में केवल दो महीने लगे, जबकि 84 से 83 तक गिरावट में 14 महीने लगे।
- 83 से 82 तक गिरावट में लगभग 10 महीने का समय लगा।
डॉलर इंडेक्स और अन्य मुद्राओं की स्थिति
- डॉलर इंडेक्स 0.01% की बढ़त के साथ 108.03 पर था, जो गुरुवार को दो साल के उच्चतम स्तर 108.27 के करीब है।
- अन्य एशियाई मुद्राएं, जैसे कोरियाई वोन, मलेशियाई रिंगिट और इंडोनेशियाई रुपिया, भी 0.8% से 1.2% तक कमजोर हुईं।
फेडरल रिजर्व का प्रभाव
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2025 में केवल दो दर कटौती का संकेत दिया, जो सितंबर में चार कटौतियों के अनुमान से कम है।
- इस हॉकिश दृष्टिकोण ने वैश्विक इक्विटी बाजारों में गिरावट का कारण बना।
घरेलू शेयर बाजार में गिरावट
- सेंसेक्स 826.40 अंकों (1.03%) की गिरावट के साथ 79,355.80 पर पहुंच गया।
- निफ्टी 211.80 अंकों (0.88%) की गिरावट के साथ 23,987.05 पर बंद हुआ।
विशेषज्ञ की राय
CR Forex Advisors अमित पाबरी के अनुसार
- रुपये पर वैश्विक और घरेलू चुनौतियों का दबाव बना रहेगा।
- निकट भविष्य में रुपये का व्यापार 84.70–85.20 की सीमा में रहने की संभावना है।
- अमित पाबरी के अनुसार, आरबीआई के हस्तक्षेप और IPO फंडिंग से रुपये को स्थिरता मिल सकती है।
Emkay Global की रिया सिंह के अनुसार
- रुपये की कमजोरी का कारण जुड़वां घाटे और कमजोर निर्यात प्रदर्शन है।
- USD/INR जोड़ी में 85.18–85.35 तक और गिरावट की संभावना है, जबकि 84.78 के नीचे जाने पर 84.50 का SUPPORT LAVEL मिल सकते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
- अमेरिकी फेड की हॉकिश नीति और बढ़ती वैश्विक ब्याज दरें रुपये की कमजोर स्थिति को बढ़ा सकती हैं।
- निवेशकों की नजर बैंक ऑफ इंग्लैंड की मौद्रिक नीति पर है, जहां एक तटस्थ रुख डॉलर की मजबूती को कुछ हद तक शांत कर सकता है।
रुपये की वर्तमान स्थिति वैश्विक और घरेलू दोनों कारकों से प्रभावित है। इसके भविष्य का मार्ग इन आर्थिक संकेतकों और नीतिगत निर्णयों पर निर्भर करेगा।
