
- तेलंगाना विधानसभा में कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना की अनियमितताओं की जांच के लिए गठित पीसी घोष आयोग की रिपोर्ट पेश की गई।
- 665 पन्नों की इस रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों और कई शीर्ष अधिकारियों पर गंभीर वित्तीय तथा प्रशासनिक गड़बड़ियों का आरोप लगाया गया।
- आयोग ने कहा कि केसीआर ने बिना कैबिनेट या उप-समिति से चर्चा किए परियोजना को तुम्मिदीहट्टी से मेडिगड्डा स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।
- विशेषज्ञ समिति और उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने इस बदलाव की सिफारिश नहीं की थी, जबकि CWC की आपत्तियाँ दोनों स्थलों पर समान रूप से लागू होती थीं।
- परियोजना की लागत ₹38,500 करोड़ से बढ़कर ₹1.10 लाख करोड़ हो गई, जिसके कारण राज्य को ₹87,449 करोड़ का ऑफ-बजट कर्ज लेना पड़ा।
- आयोग ने KIPCL द्वारा लिए गए ऋण और उनके वास्तविक लाभार्थियों की गहन जांच की सिफारिश की।
- तत्कालीन सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव पर मनमाने निर्देश देने का आरोप लगाया गया, जबकि वित्त मंत्री ईटाला राजेंदर और वित्त सचिव के. रामकृष्ण राव पर राज्य की वित्तीय स्थिति की अनदेखी करने का आरोप है।
- इंजीनियर-इन-चीफ सी. मुरलीधर राव और मुख्य सचिव एसके जोशी पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को जानबूझकर छिपाने का आरोप है।
- विपक्षी दल बीआरएस ने इस रिपोर्ट को “राजनीतिक साजिश” बताया और कहा कि जांच प्रक्रिया में उन्हें नोटिस तक नहीं भेजा गया।
- बीआरएस ने रिपोर्ट पेश करने से रोकने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन इसके बावजूद रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई।
- कालेश्वरम परियोजना, जिसे कभी राज्य की विकास यात्रा का प्रतीक माना गया था, अब बड़े वित्तीय घोटाले का प्रतीक बन चुकी है।
- वर्तमान कांग्रेस सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर आगे कड़ी कार्रवाई करने की योजना बना रही है, जिससे यह मुद्दा आने वाले समय में राजनीति का केंद्र बनेगा।
कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP)
- कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) तेलंगाना के भूपालपल्ली ज़िले में गोदावरी नदी पर स्थित है और यह विश्व की सबसे बड़ी बहु-चरणीय लिफ्ट सिंचाई प्रणाली मानी जाती है।
- इस परियोजना का उद्घाटन 21 जून 2019 को किया गया था। इसे लगभग 80,000 से 1,47,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है और इसका संचालन तेलंगाना सिंचाई विभाग करता है।
- परियोजना में सात प्रमुख लिंक और 28 पैकेज शामिल हैं, जो लगभग 500 किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। इसकी नहर प्रणाली 1,800 किलोमीटर से अधिक लंबी है और यह 13 ज़िलों को जोड़ती है।
- यह योजना हर वर्ष लगभग 240 टीएमसी (1000 मिलियन क्यूबिक फीट) पानी उठाने और उपयोग करने की क्षमता रखती है। इसमें 169 टीएमसी सिंचाई के लिए, 30 टीएमसी हैदराबाद की पेयजल आवश्यकताओं के लिए, 16 टीएमसी औद्योगिक उपयोग के लिए और 10 टीएमसी आसपास के गाँवों की ज़रूरतों के लिए निर्धारित है।
- परियोजना में महत्वपूर्ण संरचनाएँ शामिल हैं, जैसे – मेडिगड्डा, अन्नारम (सरस्वती) और सुंडिल्ला बैराज, इसके साथ ही कई जलाशय, पंप हाउस और सुरंगें।
- रामदुगु स्थित एशिया का सबसे बड़ा भूमिगत पंप हाउस, लंबी जल सुरंगें और उच्च क्षमता वाले पंप (139 मेगावाट तक) इस परियोजना की प्रमुख इंजीनियरिंग विशेषताएँ हैं। ये पंप पानी को 500 मीटर से अधिक ऊँचाई तक उठाने में सक्षम हैं।
- इस योजना का उद्देश्य लगभग 45 लाख एकड़ भूमि की सिंचाई करना है। इसके साथ ही यह परियोजना तेलंगाना की लगभग 70% आबादी की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने और उद्योगों को जल उपलब्ध कराने में सहायक होगी।
- परियोजना को लेकर कई पर्यावरणीय और संरचनात्मक चिंताएँ भी सामने आई हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने कहा कि इसे पिछली तिथि से स्वीकृति दी गई थी। राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की रिपोर्ट में मेडिगड्डा, अन्नारम और सुंडिल्ला बैराज की डिज़ाइन, निर्माण और सुरक्षा से जुड़े गंभीर दोष बताए गए हैं।