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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 11 वर्षीय छात्र को कक्षा 9 में प्रवेश की अनुमति दी

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चर्चा में क्यों?

  • छात्र ने कक्षा 1 से 8 तक लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, लेकिन कक्षा 9 में स्कूल प्रशासन ने उम्र कम होने के कारण उसका पंजीकरण अस्वीकार कर दिया।
  • मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 11 वर्षीय प्रतिभाशाली छात्र को कक्षा 9 में प्रवेश की अनुमति दी, यह कहते हुए कि शिक्षा का अधिकार उम्र से सीमित नहीं किया जा सकता।

स्कूल और CBSE का तर्क:

  • कक्षा 9 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु निर्धारित है।
  • NEP 2020 और CBSE Exam Bye-laws में किसी प्रकार की छूट का प्रावधान नहीं है।
  • आयु सीमा राज्य/केंद्रशासित प्रदेश द्वारा निर्धारित होती है।

NEP 2020 के अनुसार आयु संरचना (5+3+3+4 मॉडल):

  • Foundational Stage (3–8 वर्ष): आंगनवाड़ी + कक्षा 1-2
  • Preparatory Stage (8–11 वर्ष): कक्षा 3-5
  • Middle Stage (11–14 वर्ष): कक्षा 6-8
  • Secondary Stage (14–18 वर्ष): कक्षा 9-12
  • कक्षा 9 के लिए सामान्यत: 14 वर्ष की आयु अपेक्षित है।

पूर्ववर्ती न्यायिक दृष्टांत:

  • पटना हाई कोर्ट (जनवरी 2024): 10 वर्षीय छात्र को कक्षा 10 की परीक्षा देने की अनुमति।
  • हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (मार्च 2022): 128 IQ वाली 8 वर्षीय छात्रा को कक्षा 8 में प्रवेश।
  • मद्रास हाई कोर्ट (सितंबर 2021): 16 वर्षीय छात्रा को NEET परीक्षा में बैठने की अनुमति।
  • कोर्ट का सामान्य निष्कर्ष: आयु सीमा सामान्य नियम है, अपवाद नहीं।

विशेषज्ञों की राय:

  • IQ उच्च होना सामाजिक और भावनात्मक परिपक्वता का संकेत नहीं है।
  • समान आयु वर्ग के छात्रों के साथ कक्षा अनुभव बच्चे के विकास के लिए आवश्यक हैं।
  • उम्र से पहले उच्च कक्षाओं में भेजना मानसिक दबाव बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष:

  • यह निर्णय उन बच्चों के लिए मिसाल है जिनमें उच्च अकादमिक क्षमता है। ऐसे मामलों में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बच्चा मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी तैयार हो। शिक्षा नीति में लचीलापन और मानवीय दृष्टिकोण को अपनाना भविष्य की आवश्यकता है।

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