पृष्ठभूमि

- असम के तिनसुकिया जिले, जो तेल, कोयला और चाय जैसी प्राकृतिक संपदाओं के लिए जाना जाता है, में हाल ही में मोरान समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा प्राप्त करने की मांग को लेकर आर्थिक नाकेबंदी शुरू की है।
- इस नाकेबंदी के कारण क्षेत्र से वस्तुओं की आवाजाही प्रभावित हुई है।
ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
- मोरान समुदाय असम का एक प्राचीन समुदाय है, जिनका अहोम शासन से पूर्व स्वतंत्र राज्य हुआ करता था।
- 17वीं शताब्दी में संत अनिरुद्धदेव के वैष्णव आंदोलन से प्रेरित होकर इस समुदाय ने वैष्णव धर्म अपनाया, जिससे इनके सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में गहरा परिवर्तन आया।
- आज यह समुदाय वैष्णव धर्म की मोआमोरिया शाखा से जुड़ा है। इसके अतिरिक्त अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले में भी मोरान समुदाय की थोड़ी आबादी निवास करती है।
ST दर्जे की मांग
- मोरान समुदाय उन छह प्रमुख समुदायों (चाय जनजाति/आदिवासी, मोटोक, ताई अहोम, चुटिया और कोच-राजबोंगशी सहित) में शामिल है, जो अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने हेतु लगातार आंदोलनरत हैं।
- इनका मानना है कि ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक आधारों पर इन्हें ST सूची में शामिल किया जाना चाहिए ताकि शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ उन्हें समान रूप से प्राप्त हो सके।
हालिया घटनाक्रम
- मार्च 2025 में असम सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में निवास करने वाले मोरान समुदाय को स्थायी निवास प्रमाण पत्र (PRC) जारी करने की घोषणा की थी। इस कदम ने उनकी पहचान और संवैधानिक अधिकारों को लेकर नई बहस छेड़ दी। इसके परिणामस्वरूप असम में उनकी मांग ने और अधिक गति पकड़ ली और तिनसुकिया जिले में आर्थिक नाकेबंदी का रूप ले लिया।
निष्कर्ष
मोरान समुदाय का यह आंदोलन असम की जटिल सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को उजागर करता है। यह केवल समुदाय की पहचान और अधिकारों की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य की जनजातीय राजनीति और क्षेत्रीय असंतोष का प्रतीक भी है। ऐसे में सरकार के लिए आवश्यक है कि वह संवाद और सहमति के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान खोजे, जिससे विकास और सामाजिक न्याय दोनों लक्ष्यों की पूर्ति हो सके।