‘स्वपन चौधरी’ को राष्ट्रीय तानसेन पुरस्कार और इंदौर की संगीत संस्था ‘सानंद’ को मानसिंह तोमर पुरस्कार

‘स्वपन चौधरी’ को राष्ट्रीय तानसेन पुरस्कार और इंदौर की संगीत संस्था ‘सानंद’ को मानसिंह तोमर पुरस्कार

  • तानसेन महोत्सव का आयोजन यूनेस्को संगीत नगरी ग्वालियर में 15-19 दिसंबर तक किया गया।
  • इस अवसर पर कोलकाता के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ स्वपन चौधरी को तानसेन पुरस्कार और इंदौर की संगीत संस्था सानंद को मानसिंह तोमर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

तानसेन समारोह

  • तानसेन महोत्सव, तानसेन की भूमि ग्वालियर में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है, जिसमें संगीत के शीर्षस्थ कलाकार शिरकत करते हैं।
  • इसी समारोह में तानसेन पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
  • इस आयोजन का प्रारम्भ 1980 में हुआ।

राष्ट्रीय तानसेन पुरस्कार

  • तानसेन सम्मान शास्त्रीय संगीत क्षेत्र की मान्यता प्राप्त हस्ती को दिया जाता हैं।
  • 1980 में स्थापित यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है। 2022 से पुरस्कार की राशि 5 लाख है। स्थापना से वर्ष 1985 तक इस पुरस्कार की राशि प्रारंभ में 50000 थी, जो बाद में 2 लाख कर दी गयी थी।
  • प्रथम तानसेन पुरस्कार (1980) में – हीराबाई बड़ोदकर, बिसमिल्ला खान, पंडित कृष्णराव को दिया गया था।
  • 2020 – पं. सतीश व्यास (संतूर वादक)
  • 2021 –नित्यानंद हल्दीपुर (मुम्बई) – बांसुरी वादक
  • 2023 – स्वपन चौधरी

तानसेन

  • ग्वालियर के बेहट गाँव में मुकुंद मिश्रा के यहां 1506 ई० को जन्में ‘रामतनु पांडेय या तन्ना मिश्र’ को भथा के राजा रामचंद्र ने तानसेन, जबकि अकबर ने मियां की उपाधि दी थी। ‘मियां’ का अर्थ है – एक विद्वान व्यक्ति।
  • बचपन से ही तानसेन एक सूफी फकीर ‘मुहम्मद गौस’ के सम्पर्क मे थे। गौस ने ही उनकी तुतली आवाज को ठीक किया था।
  • वृन्दावन में स्वामी हरिदास ने उन्हे संगीत की शिक्षा दी। पुनः गौस के सान्निध्य में वे ग्वालियर आ गये और फिर मानसिंह की विधवा मृगनयनी से उन्होंने संगीत की शिक्षा ग्रहण की। उन्हें कर्ण और महमूद ने भी संगीत की शिक्षा दी।
  • तानसेन जब रीवा के महाराज रामचन्द के दरबार में थे, तब अकबर की सेना के रीवा पर आक्रमण के समय अकबर के दूत जलालखान की भेंट तानसेन से हुई और वह उन्हे आगरा दरबार में ले आया।
  • अकबर के समय तानसेन उसके नवरत्नों में शुमार हुए।
  • यद्वपि तानसेन संगीत के सातों रागों में प्रवीण थे, तथापि श्री राग भैरवी, राग मल्हार, राग दरबारी, राग दीपक में उनका कोई सानी नहीं था।
  • श्री राग भैरवी, राग मल्हार, दोनो रागों को तानसेन द्वारा इजाद किया गया था। परंतु राग दरबारी, तोड़ी, मियां की सारंगी और मियां की मल्हार ने तानसेन को अमर बनाया।
  • 1585 ई. में आगरा में दिवंगत तानसेन की समाधि उनकी इच्छानुसार मुहम्मद गौस के मकबरे के समीप ग्वालियर में बनायी गयी।

मानसिंह तोमर पुरस्कार

  • संगीत, कला एवं संस्कृति के संरक्षण में योगदानकर्ता संस्था के लिये मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा 2012 में एक लाख रूपयें का स्थापित राशि दी जाती थी। 2022 से पुरस्कार की राशि 5 लाख है।

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