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भारत में कुक्कुट उद्योग की स्थिति

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  • भारत में ब्रॉयलर चिकन उद्योग पारंपरिक छोटे पैमाने की कृषि पद्धति से बदलकर एक अत्यधिक संगठित और एकीकृत कृषि व्यवसाय में परिवर्तित हो गया है।
  • इस विकास ने छोटे किसानों को भी वाणिज्यिक मुर्गीपालन में भाग लेने में सक्षम बनाया है, जिसमे उत्पादकता और लाभप्रदता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • ब्रॉयलर मुर्गियाँः ब्रॉयलर मुर्गियाँ, वे हैं जिन्हें विशेष रूप से मांस उत्पादन के लिये पाला जाता है।ब्रॉयलर, तीव्र गति से विकसित होकर अपेक्षाकृत कम अवधि (आमतौर पर 4 से 6 सप्ताह) में पूर्ण योग्य वजन तक पहुँच जाते हैं।
    • मांस-हड्डी अनुपातः इनका चयन बड़े स्तन की मांसपेशियों को विकसित करने के लिये किया गया है. जो उपभोक्ताओं के लिये मुर्गियों का सबसे वांछित हिस्सा है।
    • कुशल फीड परिवर्तनः ब्रॉयलर कुशलतापूर्वक चारे को मांस में परिवर्तित कर देते हैं, जिससे वे व्यावसायिक उत्पादन के लिये आर्थिक रूप से व्यवहार्य हो जाते हैं।
  • कुक्कुट पालन मांस और अंडे के उत्पादन के उद्देश्य से पक्षियों, मुख्य रूप से मुर्गियों, बत्तखों, टर्की तथा हंस को पालतू बनाने एवं पालने की प्रथा है। मुर्गियों का पालन कुक्कुट उद्योग के अंतर्गत आता है।यह दुनिया भर में कृषि क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • भारत में कुक्कुट उद्योग की स्थितिःखाद्य और कृषि संगठन (FAO) 2020 के अनुसार, भारत विश्व में अंडा उत्पादन में तीसरा तथा मांस उत्पादन में 8वें स्थान पर है।देश में ब्रॉयलर मांस का उत्पादन लगभग 5 मिलियन टन (MT) होने का अनुमान है।
  • वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, भारत ने 64 देशों को कुक्कुट और कुक्कुट उत्पादों का निर्यात किया, जिससे 134 मिलियन अमेरीकी डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ।
  • शीर्ष अंडा उत्पादक राज्य-
    • आंध्र प्रदेश (20.13%)
    • तमिलनाडु (15.58%),
    • तेलंगाना (12.77%),
    • पश्चिम बंगाल (9.93%) और
    • कर्नाटक (6.51%)

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