
- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) को निर्देश दिया है कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के दौरान मतदाता सूची में पहचान सत्यापन के लिए आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार किया जाए।
- इस कदम का उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया में समावेशिता सुनिश्चित करना है।
- कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन पहचान सत्यापन के लिए इसे प्रयोग किया जा सकता है।
चुनाव आयोग की भूमिका
- चुनाव आयोग मतदाता सूची को अंतिम रूप देने और मान्य दस्तावेज़ों की सूची जारी करने का कार्य करता है।
- आयोग आधार कार्ड की प्रामाणिकता जांचने के लिए अतिरिक्त प्रमाण मांग सकता है।
- अब आयोग को निर्देश दिया गया है कि वह अपने दिशानिर्देशों में आधार को शामिल करे और अधिकारियों द्वारा आधार स्वीकारने पर जारी नोटिसों का समाधान करे।
- पहले चुनाव आयोग 11 प्रकार के दस्तावेज़ों को पहचान और निवास प्रमाण हेतु स्वीकार करता था। लेकिन कठोर दस्तावेज़ आवश्यकताओं के कारण मतदाता बहिष्करण की आशंका बढ़ गई थी। अदालत के हस्तक्षेप से अब आधार भी इस सूची में जोड़ा गया है।
- चुनाव आयोग द्वारा मान्य दस्तावेज़ों में जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, वनाधिकार प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के दस्तावेज़, परिवार रजिस्टर, भूमि आवंटन प्रमाणपत्र, सरकारी पहचान पत्र और 1987 से पहले जारी सरकारी दस्तावेज़ शामिल हैं। अब आधार भी इस सूची में जुड़ गया है।
कानूनी स्थिति
- आधार अधिनियम, 2016 के तहत आधार मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ है, परंतु नागरिकता का प्रमाण नहीं।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अंतर्गत आधार को पहचान सत्यापन हेतु प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन नागरिकता प्रमाणित करने हेतु नहीं।
- कोर्ट ने कहा कि नागरिकता का निर्धारण संविधान के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है, न कि बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) के।
मतदाता समावेशन पर प्रभाव
- आधार को शामिल करने से उन लोगों को लाभ मिलेगा जिनके पास पारंपरिक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं।
- बिहार के लगभग 99.6% मतदाताओं ने पहले ही दस्तावेज़ प्रस्तुत कर दिए हैं, लेकिन शेष लोगों के लिए आधार एक विकल्प बनेगा। हालांकि, फर्जी आधार कार्ड को लेकर चिंता बनी हुई है, इसलिए मज़बूत सत्यापन प्रक्रिया की आवश्यकता है।
चुनौतियाँ
- कोर्ट के आदेश के बावजूद कुछ BLO अब भी आधार को अस्वीकार कर रहे हैं।
- इस कारण कानूनी विवाद और नोटिस जारी किए गए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने अनुपालन की निगरानी हेतु आगे की सुनवाई तय की है।
- मतदाता बहिष्करण रोकने और फर्जी पंजीकरण रोकने के बीच संतुलन बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।