- भारत सरकार ने हाल ही में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) के दूसरे चरण को मंजूरी दी है।
- इस पहल का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय भूमि सीमाओं के साथ रणनीतिक गांवों में व्यापक विकास को प्रोत्साहित करना है। इस चरण के लिए कुल वित्तीय आवंटन 6,839 करोड़ रूपये है।
- पहला चरण चीन सीमा के पास के गांवों पर केंद्रित था।
- दूसरा चरण 2028-29 तक 15 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा गांवों तक विस्तारित होगा।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
- यह एक केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम है जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 (2025-26 तक) में उत्तर में सीमावर्ती गाँवों को विकसित करने और ऐसे सीमावर्ती गाँवों के निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ की गई।
- इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल होंगे।
- इसके तहत 2,963 गाँवों को कवर किया जाएगा, जिनमें से 663 गाँवों को पहले चरण में कवर किया जायेगा।
- ग्राम पंचायतों की सहायता से ज़िला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज़ एक्शन प्लान बनाए जाएंगे।
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की वजह से ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ के साथ ओवरलैप की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।
उद्देश्य
- यह योजना उत्तरी सीमा पर सीमावर्ती गाँवों के स्थानीय, प्राकृतिक, मानव तथा अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक चालकों की पहचान एवं विकास करने में सहायता करेगी।
- सामाजिक उद्यमिता (entrepreneurship) को बढ़ावा देने, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं एवं महिलाओं के सशक्तीकरण (empowerment) के माध्यम से ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ (Hub and Spoke Model) पर आधारित विकास केंद्रों का विकास करना। जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में जीवन स्थिति में सुधार होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- स्थानीय, सांस्कृतिक, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को बढ़ावा देकर पर्यटन क्षमता का लाभ उठाना।
- समुदाय आधारित संगठनों, सहकारी समितियों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से ‘एक गाँव-एक उत्पाद’ की अवधारणा पर स्थायी पर्यावरण-कृषि व्यवसायों का विकास करना।
- यह सीमा सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में स्थानीय आबादी को शामिल करते हुए समृद्ध और सुरक्षित सीमा सुनिश्चित करना चाहता है।
- कार्यक्रम सीमा पार अपराध से भी निपटेगा।
बुनियादी ढांचे का विकास
- इस पहल से गांवों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित किया जाएगा। इसमें सड़क, बिजली और दूरसंचार कनेक्टिविटी शामिल है।
- सरकार की योजना स्मार्ट कक्षाओं के साथ शिक्षा सुविधाओं को बढ़ाने की है।
- स्थानीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन सर्किट भी विकसित किए जाएंगे।
वित्तीय संरचना और कार्यान्वयन
- VVP-II एक 100% केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसे पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
- एक उच्चस्तरीय समिति कार्यान्वयन की देखरेख करेगी और बेहतर दक्षता के लिए दिशा-निर्देशों में ढील दे सकती है।
- कार्यक्रम का उद्देश्य पहचाने गए गांवों में मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं को शामिल करना है।
सामुदायिक जुड़ाव
- कार्यक्रम मेलों, त्योहारों और जागरूकता शिविरों के माध्यम से सामुदायिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करता है।
- सरकारी अधिकारियों के नियमित दौरे स्थानीय आबादी के साथ संबंधों को मजबूत करने में मदद करेंगे।
- इन गतिविधियों का उद्देश्य पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाना और स्थानीय संस्कृति का जश्न मनाना है।
फोकस क्षेत्र और हस्तक्षेप
मुख्य हस्तक्षेपों में पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत, कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देना शामिल है। कृषि और बागवानी का समर्थन करने के लिए सहकारी समितियाँ स्थापित की जाएँगी। कार्यक्रम का उद्देश्य आवास और स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसी आवश्यक सेवाएँ प्रदान करना भी है।
भौगोलिक दायरा और लक्षित क्षेत्र
- वीवीपी विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 0-10 किलोमीटर के भीतर के गाँवों को कवर करेगा।
- इस कार्यक्रम के तहत विकास के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य राज्यों के चुनिंदा गाँवों की पहचान की गई है।
भविष्य की संभावनाएँ
जीवंत गाँव कार्यक्रम से लोगों को सीमावर्ती गाँवों में रहने के लिए प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। इससे जनसंख्या स्थिरता बनाए रखने और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। बुनियादी ढांचे और सामुदायिक गतिविधियों पर जोर देने से इन क्षेत्रों की जीवंतता बढ़ेगी।