
इस्तीफ़े की पृष्ठभूमि और समय
- उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य संबंधी कारण और डॉक्टर की सलाह का हवाला दिया। यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन आया, जबकि उनके कार्यकाल के अभी 2 वर्ष शेष थे।
इस्तीफे से पूर्व का घटनाक्रम (21 जुलाई 2025)
- दोपहर 12:30 बजे – उप-राष्ट्रपति ने राज्यसभा के व्यवसाय सलाहकार समिति (BAC) की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें केंद्रीय मंत्री भी उपस्थित थे।
- शाम 4:30 बजे – BAC की अगली बैठक बुलाई गई, लेकिन जेपी नड्डा और किरण रिजिजू जैसे वरिष्ठ मंत्री बिना सूचना के अनुपस्थित रहे।
- थोड़ी देर बाद धनखड़ ने बैठक को अगले दिन दोपहर 1 बजे के लिए स्थगित किया और इसे गंभीर अपमान बताया गया
- शाम में धनखड़ ने राष्ट्रपति को इस्तीफ़ा सौंप दिया, जिसमें स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की बात कही गई।
- विपक्ष के कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह केवल स्वास्थ्य का मामला नहीं, बल्कि “और भी गहरे कारण” हैं। उन्होंने यह भी कहा कि धनखड़ प्रोटोकॉल और गरिमा के प्रति बेहद सजग व्यक्ति थे और खुद को अपमानित महसूस कर सकते हैं।
राज्यसभा में हालिया घटनाएं जो इस्तीफे का कारण बन सकती हैं-
- न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव- उप-राष्ट्रपति ने राज्यसभा में एक न्यायाधीश को हटाने का प्रस्ताव सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया, जिससे सरकार असहज हो गई थी।
- राज्यसभा में 500 रुपये के नोट मिलने की घटना – एक गुप्त धनराशि संसद भवन के भीतर मिली, जिसकी घोषणा उप-राष्ट्रपति ने की। यह मुद्दा भी सरकार के लिए चिंताजनक बना।
- सरकार की नाराज़गी – सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व उप-राष्ट्रपति की स्वतंत्र शैली और न्यायपालिका की आलोचना से असहज था।
जगदीप धनखड़ का कार्यकाल और छवि
- उन्होंने अगस्त 2022 में उप-राष्ट्रपति पद ग्रहण किया और साथ ही राज्यसभा के सभापति भी बने।
- वे संसद में नियमों, प्रोटोकॉल, न्यायिक पारदर्शिता0और कृषक हितों की खुलकर वकालत करते रहे।
- वे एक वरिष्ठ अधिवक्ता, पूर्व लोकसभा सांसद और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं।
अस्थायी व्यवस्था
- जब तक नया उप-राष्ट्रपति नहीं चुना जाता, तब तक राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह सभापति की भूमिका निभा सकते हैं।