ख़बरों में क्यों?
- 4 मई 2025 को डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर की जयंती के अवसर पर उज्जैन में आयोजित व्याख्यान-माला में उनके योगदानों को स्मरण किया गया।
डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर
- डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर भारत के एक महान पुरातत्त्वविद्, चित्रकार, इतिहासकार और सांस्कृतिक शोधकर्त्ता थे, उनका जन्म 4 मई 1919 को नीमच, मध्य प्रदेश में हुआ था।
डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर का योगदान
- डॉ. वाकणकर ने वर्ष 1957 में भोपाल के पास स्थित भीमबेटका गुफाओं के प्राचीन शिलाचित्रों की खोज की, जो मानव सभ्यता के आदिकालीन साक्ष्य हैं।
- उन्होंने गुजरात क्षेत्र में लुप्त सरस्वती नदी के प्रवाह की दिशा का अन्वेषण कर यह सिद्ध किया कि यह भारतवर्ष में ही बहती थी, जिससे सैंधव सरस्वती सभ्यता को नया प्रमाण मिला।
- उनके शोध ने आर्य-द्रविड़ आक्रमण सिंद्धांत को चुनौती दी और यह बताया कि भारतीय सभ्यता की निरंतरता भारतभूमि पर ही विकसित हुई।उन्होंने भारत के विभिन्न भागों में हज़ारों शैलाश्रयों की खोज की तथा उनका चित्रांकन, विश्लेषण और प्रदर्शन देश-विदेश में किया।
- उन्होंने महेश्वर, नवादा टोली, मनोटी, आवारा, इंद्रगढ़, कायथा, मंदसौर, आजादनगर, डांगवाड़ा आदि क्षेत्रों में खुदाई की।
- उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल की सील (मुद्रांक) प्राप्त कर विक्रम संवत की ऐतिहासिकता सिद्ध की।
- उन्होंने उज्जैन में वाकणकर इंडोलॉजिकल कल्चरल रिसर्च ट्रस्ट की भी स्थापना की।
सम्मान
- भारत सरकार ने उनके योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें 1975 में पद्मश्री से सम्मानित किया।
- मध्य प्रदेश सरकार ने उनके सम्मान में आठवें टाइगर रिज़र्व (रातापानी टाइगर रिज़र्व) का नाम डॉ. वाकणकर टाइगर रिज़र्व रखा है।
- उज्जैन स्थित डॉ. वाकणकर शोध संस्थान उनके कार्यों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिये सक्रिय है।