खबरों में क्यों
- उत्तरप्रदेश में ईको टूरिज्म और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य से दुधवा टाइगर रिजर्व तक रेल कनेक्टिविटी वाली पर्यटक ट्रेन में विस्टाडोम कोच सेवा शुरू की गई।
विवरण
- उत्तरप्रदेश में ईको टूरिज्म और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य से दुधवा टाइगर रिजर्व तक रेल कनेक्टिविटी वाली पर्यटक ट्रेन में विस्टाडोम कोच सेवा शुरू की गई।
- उत्तर प्रदेश, देश का ऐसा पहला राज्य बन चुका है, जहां विस्टाडोम कोच की सुविधा शुरू की गई है।
- इससे पर्यटकों को जंगल सफारी का रोमांचक अनुभव मिल सकेगा। यह सेवा पर्यटकों के लिए पूरे साल मिलेगी। इससे जहां एक ओर पयर्टन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
- उत्तर प्रदेश सरकार, वन क्षेत्रों को ‘One Destination Three Forest’ के रूप में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण्य और किशनपुर वन्यजीव अभ्यारण्य को एकीकृत किया गया है।
- कतर्नियाघाट से दुधवा टाइगर रिजर्व तक 107 किमी लंबे जंगल के भीतर पर्यटक प्राकृतिक दृश्य, जैव विविधता और वन्यजीवों का नजदीक से अनुभव कर सकेंगे।
- मानसून सीजन में पयर्टकों को खासा आकर्षित करेगी। विस्टाडोम कोच सेवा सिर्फ वनों और अभयारण्यों से ही नहीं, बल्कि वेटलैंड, ग्रासलैंड, फार्मलैंड और वुडलैंड जैसे प्राकृतिक परिदृश्यों को भी करीब से देखने का अवसर प्रदान करती है।
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, पहले ब्रिटिश शासकों का शिकारगाह हुआ करता था।
- 1958 में, इस क्षेत्र को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था, जिसका उद्देश्य दलदली हिरणों की आबादी की रक्षा करना था, जो विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे थे।
- 1987 में, इस क्षेत्र में बंगाल बाघों की अच्छी खासी आबादी के कारण इसे बाघ अभयारण्य घोषित किया गया। यह दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य सहित 1,284 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- यह भारत-नेपाल सीमा पर लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है।
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में विविध प्रकार के वन्यजीवों, जिनमें – बाघ, बंगाल टाइगर, भारतीय गैंडा, दलदली हिरण, तेंदुआ, बारहसिंगा, हाथी, भालू और पक्षियों की 450 से अधिक प्रजातियाँ शामिल हैं।
- यह पार्क अपने अनोखे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी जाना जाता है, जिसमें घास के मैदान, दलदल और घने जंगल शामिल हैं।
- पार्क को अपनी इको-टूरिज्म पहलों के लिए भी जाना जाता है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करते हुए टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करना है।
कतर्नियाघाट वन्य अभ्यारण्य (Katarniaghat Wildlife Sanctuary)
- भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच ज़िले की मिहींपुरवा तहसील में स्थित एक वन्य अभ्यारण्य है। यह 400.6 कि.मी.2 (154.7 वर्ग मील) क्षेत्रफल पर नेपाल की सीमा के समीप तराई क्षेत्र में विस्तारित है।
- इसकी स्थापना सन् 1975 में हुई और सन् 1987 में इसे बाघ संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर के अधीन लाया गया।
- किशनपुर वन्य अभ्यारण्य और दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलाकर यह दुधवा बाघ अभ्यारण्य बनाता है।

