
- हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बांस के पर्यावरणीय लाभ, आर्थिक महत्व और इसके बहुमुखी उपयोग के बारे में वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना है। बांस को “हरित सोना” (Green Gold) कहा जाता है क्योंकि यह पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और लाखों लोगों की आजीविका दोनों से जुड़ा हुआ है।
- विश्व बांस संगठन (World Bamboo Organization – WBO) ने 2009 में इस दिवस की शुरुआत की थी। तब से यह दिन सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को बांस-आधारित टिकाऊ समाधानों और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है।
- विश्व बांस दिवस 2025 की थीम है – “अगली पीढ़ी का बांस: समाधान, नवाचार और डिज़ाइन”। यह थीम बांस के भविष्य-उन्मुख उपयोग पर ध्यान केंद्रित करती है, जहाँ इसे पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान, तकनीकी नवाचार और रचनात्मक डिज़ाइन का प्रमुख साधन माना गया है।
महत्व और लाभ
- बांस दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला पौधा है, जो अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करता है और कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है। इसकी जड़ें मृदा अपरदन रोकने और जल संरक्षण में सहायक हैं। यह ग्रामीण समुदायों को आजीविका देता है और हस्तशिल्प, फर्नीचर, कागज, वस्त्र, निर्माण और खाद्य उत्पादों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- बांस लकड़ी, प्लास्टिक और स्टील का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। यह जैव अपघटनीय और पुनर्चक्रण योग्य होने के कारण सतत विकास का महत्वपूर्ण साधन है। विश्व बांस दिवस हमें बांस के संरक्षण और इसके टिकाऊ उपयोग को बढ़ावा देने की प्रेरणा देता है।