
- दुनिया का पहला कृत्रिम गर्भाशय (artificial womb) जापान में विकसित किया गया है।
- जापानी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो भ्रूण को मानव शरीर के बाहर सुरक्षित रूप से विकसित होने की अनुमति देती है। इस प्रक्रिया में एक पारदर्शी, द्रव से भरे बायोबैग का उपयोग किया जाता है, जो प्राकृतिक गर्भाशय के वातावरण की नकल करता है और भ्रूण को आवश्यक ऑक्सीजन, पोषक तत्व तथा तरल संतुलन प्रदान करता है।
- यह तकनीक विशेष रूप से समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए लाभकारी मानी जा रही है, क्योंकि यह उन्हें माँ के गर्भ से बाहर भी सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण उपलब्ध कराती है।
- भविष्य में इसका उपयोग बांझपन के उपचार में भी किया जा सकता है, जिससे मातृत्व की परंपरागत अवधारणा बदल सकती है और नई संभावनाएँ सामने आ सकती हैं।
- हालाँकि, इसके साथ कई नैतिक और कानूनी प्रश्न भी जुड़े हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जीवन और गर्भधारण को किस हद तक एक “सेवा” के रूप में देखा जा सकता है और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- याद रहे 2022 में दुनिया का पहला कृत्रिम भ्रूण (Synthetic Embryo) इज़राइल के वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने बनाया।