
- 2022 में दुनिया का पहला कृत्रिम भ्रूण (Synthetic Embryo) इज़राइल के वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने बनाया।
- इसे चूहे के स्टेम सेल से विकसित किया गया था। यह भ्रूण लगभग आठ दिनों तक जीवित रहा और इस दौरान इसमें धड़कता हुआ हृदय, रक्त कोशिकाएं, मस्तिष्क, तंत्रिका नली और आंत्र पथ का विकास हुआ।
- कृत्रिम भ्रूण प्राकृतिक निषेचन से नहीं, बल्कि स्टेम सेल से तैयार किया जाता है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल को एक विशेष पात्र में रखा, जिसमें पोषक तत्वों से भरपूर घोल लगातार प्रवाहित किया जाता रहा और भ्रूण को गतिशील रखा गया ताकि रक्त प्रवाह की तरह पोषण मिलता रहे।
- यह खोज चिकित्सा अनुसंधान में बड़ी सफलता मानी जा रही है। इससे बांझपन के उपचार, समय से पहले जन्मे बच्चों को जीवनरक्षक सहायता देने और नई चिकित्सा तकनीकें विकसित करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, पशु परीक्षणों को कम करने की संभावना भी बढ़ेगी।
- हालाँकि, इसके साथ कई नैतिक चिंताएँ जुड़ी हुई हैं। मानव भ्रूण पर इस तकनीक का उपयोग गंभीर नैतिक और कानूनी प्रश्न खड़े करता है। इसलिए इसके लिए कड़े अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देश और विनियमन आवश्यक होंगे।