श्रीनगर को ‘विश्व शिल्प शहर’ का दर्जा मिला

श्रीनगर को ‘विश्व शिल्प शहर’ का दर्जा मिला

श्रीनगर को ‘विश्व शिल्प शहर’ का दर्जा मिला

  • हाल ही में जून 2024 में अद्वितीय हस्तशिल्प के लिए श्रीनगर को विश्व शिआल्प शहर (World Craft City) का दर्जा विश्व शिल्प परिषद् (World Craft Council) ने  प्रदान किया है।विश्व शिल्प परिषद (World Craft Council- WCC) द्वारा ‘विश्व शिल्प शहर (World Craft City)’ के रूप में मान्यता प्राप्त करने वाला चौथा भारतीय शहर बन गया है।
  • विश्व शिल्प नगरी का दर्जा मिलने से श्रीनगर में हथकरघा व हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा तथा साथ ही वहाँ के पर्यटन एवं बुनियादी ढाँचे के विकास को लाभ मिलेगा।
  • कागज की लुगदी, अखरोट की लकड़ी पर नक्काशी, कालीन, सोज़नी कढ़ाई और पश्मीना और कानी शॉल श्रीनगर के कुछ शिल्प हैं।
  • इससे पूर्व वर्ष 2021 में यूनेस्को ने, श्रीनगर शहर को, शिल्प और लोक कलाओं के लिये यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क (UNESCO Creative City Network- UCCN) के हिस्से के रूप में एक रचनात्मक शहर (क्रिएटिव सिटी) के रूप में मान्यता प्रदान की थी.।
  • श्रीनगर से पूर्व जयपुर, मलप्पुरम और मैसूर अन्य तीन भारतीय शहर हैं, जिन्हें पहले विश्व शिल्प शहरों के रूप में मान्यता दी जा चुकी है। उनमें-
  • जयपुर (कुंदन जड़ाई, मीनाकारी, लाख आधारित कार्य व गोटा पट्टी आदि),
  • मैसूरू (किन्नल चित्रकारी, चंदन एवं शीशम की लकड़ी की नक्काशी आदि) तथा मामल्लपुरम् (पत्थर पर नक्काशी) शामिल हैं.

विश्व शिल्प परिषद (World Craft Council- WCC)

  • यूनेस्को से ही सम्बद्ध विश्व शिल्प परिषद् (WCC-इंटरनेशनल) की स्थापना वर्ष 1964 में हुई थी और श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय, संस्थापक सदस्यों में से एक होने के नाते, प्रथम WCC आम सभा में शामिल हुई थीं।    ने अब शिल्प नगरी के रूप में मान्यता इसे प्रदान की है.
  • श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने भारत की शिल्प विरासत को संरक्षित करने और बढ़ाने के लिये वर्ष 1964 में भारतीय शिल्प परिषद की स्थापना की।
  • नोट- विश्व शिल्प शहर कार्यक्रम, वर्ष 2014 में विश्व शिल्प परिषद (WCC-इंटरनेशनल) द्वारा दुनिया भर में शिल्प विकास में स्थानीय अधिकारियों, शिल्पकारों और समुदायों की महत्त्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिये शुरू किया गया था।

मलादेवी चट्टोपाध्याय:

  • कमलादेवी चट्टोपाध्याय नमक सत्याग्रह तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन से ही राजनीति में सक्रिय रहीं थीं। उसके बाद वो लगातार स्वतंत्रता संघर्ष के लिये होने वाले आंदोलनों में भागीदारी देती रहीं।
  • अपने राजनीतिक संघर्ष के दौरान उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें भी गिरफ्तार किया गया।
  • जेल से छूटने के बाद वो अमेरिका गईं तथा वहाँ के लोगों को भारत में ब्रिटिश हुकूमत की सच्चाई के बारे में बताया।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने अपना समय भारत की कला, संस्कृति तथा दस्तकारी के उत्थान में लगाया। वह सहकारी संगठनों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने राष्ट्रीय नाट्य अकादमी (National School of Drama- NSD), संगीत नाटक अकादमी तथा भारतीय दस्तकारी परिषद (Crafts Council of India) की स्थापना में अपना योगदान दिया।
  • वर्ष 1955 में कला के क्षेत्र में योगदान के लिये उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

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