
चर्चा में क्यों ?
- अरुणा आसफ अली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रखर वीरांगना थीं, जिन्हें ‘भारत की ग्रैंड ओल्ड लेडी’ तथा ‘भारत छोड़ो आंदोलन की हीरोइन’ के रूप में सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष उनकी जयंती 16 जुलाई को मनाई जाती है।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- नमक सत्याग्रह (1930): अरुणा आसफ अली ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए नमक सत्याग्रह में सक्रिय भाग लिया और अंग्रेजी हुकूमत के नमक कानून का पालन न करने के अपने निर्णय के माध्यम से लोकमानस में जागरूकता फैलाई।
- तिहाड़ जेल में भूख हड़ताल (1932): 1932 में गिरफ्तारी के पश्चात् तिहाड़ जेल में उन्होंने राजनीतिक कैदियों के बेहतर अधिकारों के लिए भूख हड़ताल की, जिससे ब्रिटिश प्रशासन पर दबाव बना और कैदियों की स्थिति सुधारने हेतु बातचीत शुरू हुई।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942): अरुणा आसफ अली ने 9 अगस्त 1942 को बॉम्बे के गोवालिया टैंक मैदान में कांग्रेस का झंडा फहराकर भारत छोड़ो आंदोलन का पहला प्रकाशपातक संदेश दिया। इसके पश्चात् उन्होंने भूमिगत रहकर आंदोलन का समन्वय किया और विभिन्न प्रदेशों में आन्दोलन की अगुवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता के बाद का जीवन
- राजनीतिक योगदान: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अरुणा आसफ अली ने कांग्रेस पार्टी के माध्यम से राजनीति में प्रवेश किया और वर्ष 1958 में दिल्ली की पहली महिला महापौर चुनी गईं।
- पत्रकारिता एवं सामाजिक कार्य: उन्होंने ‘Patriot’ रोज़ाना समाचार पत्र और साप्ताहिक पत्रिका ‘Link’ की शुरुआत की, जिनके माध्यम से समाजिक, राजनीतिक तथा महिला सशक्तिकरण के मुद्दों को उजागर किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन विमेन (NFICW) का नेतृत्व भी संभाला।
सम्मान एवं पुरस्कार
- लेनिन शांति पुरस्कार (1964)
- जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार (1991)
- पद्म विभूषण (1992)
- भारत रत्न (1997, मरणोपरांत)