
संसद के दोनों सदनों ने आयकर विधेयक, 2025 पारित कर दिया है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 को अधिक सरल, तार्किक और संक्षिप्त बनाना है।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ
- वर्चुअल डिजिटल स्पेस की परिभाषा : इस विधेयक में वर्चुअल डिजिटल स्पेस को ईमेल, सोशल मीडिया, ऑनलाइन अकाउंट, क्लाउड सर्वर, वेबसाइट और किसी भी प्रकार के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के रूप में परिभाषित किया गया है। यदि यह प्रावधान यथावत लागू होता है, तो कर प्राधिकरण कर चोरी या कम आय दिखाने की संभावना की जाँच करने के लिए इन डिजिटल अकाउंट्स के पासवर्ड तक पहुँच सकते हैं या उन्हें दरकिनार कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में कंपनियों को भी सहयोग करना पड़ सकता है।
- कर वर्ष (Tax Year) की नई व्यवस्था : अब तक ‘मूल्यांकन वर्ष’ और ‘पिछले वर्ष’ की दोहरी अवधारणा लागू थी। इस विधेयक में दोनों को मिलाकर केवल एक “कर वर्ष” की व्यवस्था की गई है, जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होगा।
- रिफंड का प्रावधान : पहले केवल समय पर दाखिल किए गए रिटर्न पर ही धनवापसी (रिफंड) का दावा किया जा सकता था। नए प्रावधान के अनुसार, अब देर से दाखिल किए गए रिटर्न पर भी करदाता रिफंड का दावा कर सकेंगे।
- शिक्षा प्रयोजन हेतु LRS पर TCS छूट : विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई छात्र विदेश में शिक्षा के लिए पैसा भेजता है और यह पैसा वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तपोषित है, तो इस पर स्रोत पर कर संग्रहण (TCS) नहीं लगेगा।
- शून्य कर कटौती प्रमाणपत्र : जिन व्यक्तियों पर कोई कर देयता नहीं है, वे पहले से ही एक प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनके स्रोत पर कोई कर कटौती (TDS) नहीं होगी।
- LLP पर AMT की व्यवस्था: सीमित देयता भागीदारी (LLP) पर भी वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) लागू रहेगा। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि जो व्यक्ति या संस्थाएँ कर छूट और कटौतियों का लाभ लेते हैं, वे भी कम से कम एक न्यूनतम कर अवश्य चुकाएँ।
- आयकर की सामान्य समझ : आयकर एक प्रत्यक्ष कर है, जिसे व्यक्ति, कंपनी या अन्य संस्थाएँ अपनी आय पर चुकाते हैं। भारत में व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आयकर प्रगतिशील कर स्लैब के अनुसार लगाया जाता है। यह कर स्लैब नए कर शासन या लागू छूट व कटौतियों के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
प्रत्यक्ष कर संग्रह की स्थिति (CBDT के अनुसार)
- वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹7.99 लाख करोड़ रहा।
- यह राशि वित्त वर्ष 2024-25 के ₹8.14 लाख करोड़ की तुलना में लगभग 1.9% कम है।
1961 अधिनियम और 2025 विधेयक के बीच तुलनात्मक सारणी (comparison table)
विषय | आयकर अधिनियम, 1961 | आयकर विधेयक, 2025 (Income-tax Act, 2025) |
‘मूल्यांकन वर्ष’ और ‘पिछला वर्ष’ | दो अलग अवधारणाएँ (Previous Year & Assessment Year) | एकीकृत अवधारणा: अब केवल “कर वर्ष (Tax Year)” होगा (1 अप्रैल – 31 मार्च) |
डिजिटल पहुँच और पारदर्शिता | डिजिटल क्षेत्रों की स्पष्ट अनुमति नहीं | कर अधिकारी “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” (ईमेल, सोशल मीडिया, क्लाउड आदि) तक पहुँच सकते हैं, पासवर्ड ओवरराइड भी संभव |
ऑनलाइन (Faceless) आकलन व्यवस्था | आंशिक रूप से मौजूद, लेकिन सीमित | डिजिटल-प्रथम (Digital-first), faceless आकलन को बढ़ावा; मानव इंटरफ़ेस घटेगा |
रिफंड (धनवापसी) व्यवस्था | केवल समय पर दाखिल रिटर्न पर ही रिफंड संभव | विलंब से दाखिल रिटर्न पर भी रिफंड का दावा संभव; पूर्व सूचना अनिवार्य होगी |
कर रियायत (Rebate) | ₹12,500 तक की रिबेट (Section 87A) | ₹12 लाख तक आय पर पूर्ण छूट; रिबेट सीमा बढ़ाई गई |
अनाम धार्मिक दान | स्पष्ट प्रावधान नहीं | सामाजिक सेवा से दूर धार्मिक ट्रस्टों को अनाम दान में सीमाएँ लगाई गईं |
खतरनाक विवाद (Litigation) | कई अस्पष्ट और विवादास्पद प्रावधान | अस्पष्टताएँ हटाई गईं; खंडों और नियमों को सरल बनाने की कोशिश |
कर स्लैब और संरचना | पहले की स्लैब, अलग-अलग कर संरचना | ₹12 लाख तक आय पर कर मुक्त; संशोधित स्लैब लागू, पर राहत बनाए रखी गई |