
नई दिल्ली, 27 सितंबर 2025 – भारत को जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में एक और उपलब्धि मिली है। यूनेस्को (UNESCO) ने हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति ज़िले में स्थित कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व को अपनी विश्व बायोस्फीयर रिज़र्व नेटवर्क (World Network of Biosphere Reserves – WNBR) में शामिल किया है। इस घोषणा के साथ भारत के पास अब 13 बायोस्फीयर रिज़र्व यूनेस्को सूची में दर्ज हो गए हैं।
यह निर्णय पेरिस में आयोजित यूनेस्को के “मैन एंड द बायोस्फीयर (MAB)” कार्यक्रम की 37वीं बैठक में लिया गया।
रिज़र्व का विस्तार और विशेषताएँ
यह रिज़र्व लगभग 7,770 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
इसमें हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति क्षेत्र के पर्वतीय पठार, ग्लेशियल घाटियाँ, अल्पाइन झीलें और शुष्क मरुस्थल शामिल हैं।
यह विश्व नेटवर्क में शामिल सबसे ठंडे और शुष्क पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है।
इसकी ऊँचाई 3,300 मीटर से 6,600 मीटर तक है।
जैव विविधता
यहाँ 732 प्रजातियों के वेस्कुलर पौधे पाए जाते हैं, जिनमें 30 स्थानिक (endemic) और 157 निकट-स्थानिक (near-endemic) प्रजातियाँ भारतीय हिमालय क्षेत्र की हैं।
प्रमुख वनस्पतियों में विलो-लीव्ड सी-बकथॉर्न, हिमालयी बर्च और पर्शियन जुनिपर शामिल हैं।
जीव-जंतुओं में हिम तेंदुआ (Snow Leopard), हिमालयी आइबेक्स, ब्लू शीप, हिमालयी वुल्फ, गोल्डन ईगल और हिमालयी स्नोकॉक जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
मानव बसावट और परंपराएँ
लगभग 12,000 निवासी यहाँ रहते हैं।
लोग पारंपरिक पशुपालन (याक और बकरियों की चराई), जौ और मटर की खेती, तथा तिब्बती औषधीय प्रथाओं पर निर्भर हैं।
संसाधनों के संरक्षण और उपयोग को लेकर बौद्ध मठ परंपराएँ और सामुदायिक परिषदें नियम निर्धारित करती हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
इस वर्ष यूनेस्को ने 21 देशों के 26 नए बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित किए, जो पिछले 20 वर्षों में सबसे अधिक हैं।
अब तक 142 देशों में 785 बायोस्फीयर रिज़र्व स्थापित हो चुके हैं, जो विश्व के लगभग 5% हिस्से की रक्षा कर रहे हैं।
इस वर्ष छह देशों — अंगोला, जिबूती, इक्वेटोरियल गिनी, आइसलैंड, ओमान और ताजिकिस्तान — को अपना पहला बायोस्फीयर रिज़र्व मिला।
महत्व और भविष्य
यूनेस्को की मान्यता से इस क्षेत्र में पर्यटन, वैज्ञानिक अनुसंधान और संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
जलवायु परिवर्तन और पर्यटन दबाव के बीच यह कदम हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
👉 सारांशतः, हिमालय की ऊँचाई पर स्थित यह पहला “कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व” न केवल भारत के लिए गर्व की बात है बल्कि यह वैश्विक स्तर पर पर्वतीय पारिस्थितिकी और सामुदायिक जीवन शैली के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।