
12 अगस्त, 2025 को संसद में पेश की गई 2023-24 के लिए केंद्र सरकार के खातों पर अपनी रिपोर्ट में, सीएजी ने निवेशक शिक्षा और संरक्षण, राष्ट्रीय राजमार्गों के मुद्रीकरण, तेल उद्योग के विकास और देश में स्वास्थ्य और शिक्षा के विकास के लिए बनाए गए धन से संबंधित हस्तांतरण में ऐसी कमियां पाईं।
मुख्य निष्कर्ष
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने पाया कि वर्ष 2023-24 तक केंद्र सरकार ₹3.69 लाख करोड़ उपकर (Cess) को संबंधित निधियों में स्थानांतरित करने में विफल रही है।
- उपकर, कर के अतिरिक्त लगाया जाने वाला एक शुल्क है, जिसका उद्देश्य किसी विशेष योजना या उद्देश्य के लिए धन जुटाना होता है।
- यह कमी वर्ष 1974 में लगाए गए उपकरों से लगातार चली आ रही है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह समस्या विभिन्न सरकारों में बनी रही है।
प्रभावित क्षेत्र
CAG ने पाया कि निम्न क्षेत्रों में उपकर की राशि संबंधित निधियों में पूरी तरह हस्तांतरित नहीं की गई:
- निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण
- राष्ट्रीय राजमार्ग मुद्रीकरण
- तेल उद्योग विकास
- स्वास्थ्य एवं शिक्षा विकास
CAG की रिपोर्ट के अनुसार:
- 1974-75 से 2023-24 तक कच्चे तेल पर कुल ₹2,94,850.56 करोड़ उपकर एकत्रित हुआ (सिर्फ 2023-24 में ₹18,845.98 करोड़)।
- 1974-75 से 1991-92 तक OIDB को केवल ₹902.40 करोड़ हस्तांतरित किए गए।
- 1992 के बाद से एकत्रित उपकर का कोई हिस्सा तेल उद्योग विकास बोर्ड (OIDB) को नहीं दिया गया। यानी, सरकार ने 2.9 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए, पर केवल 902 करोड़ (0.3%) ही OIDB को हस्तांतरित किए।
- जवाब में वित्त मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2024-25 से ‘तेल उद्योग विकास कोष’ (Oil Industry Development Fund) की स्थापना की जाएगी। बजट 2024-25 में ₹17,730 करोड़ और 2025-26 में ₹19,376 करोड़ इस कोष में हस्तांतरित करने का प्रावधान है।
- स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर की शुरुआत 1 अप्रैल, 2004 से 2% के साथ हुई। 2007 में आयकर पर माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के लिए 1% अतिरिक्त उपकर लगाया गया। 1 अप्रैल, 2018 से इन दोनों को मिलाकर 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लागू किया गया।
- 2018-19 से 2023-24 तक केंद्र सरकार ने ₹37,537 करोड़ उपकर एकत्र किया, लेकिन इसे संबंधित निधियों में स्थानांतरित नहीं किया।
- वित्त मंत्रालय ने दावा किया कि इस अवधि में ₹3.66 लाख करोड़ स्थानांतरित किए गए, जो प्राप्त राशि से अधिक है। हालांकि, CAG ने स्पष्ट किया कि सरकारी वित्त खातों के अनुसार केवल ₹2.65 लाख करोड़ ही हस्तांतरित किए गए।
CAG का निष्कर्ष
- 31 मार्च 2024 तक जांची गई निधियों में कुल ₹3,69,307 करोड़ का कम हस्तांतरण हुआ। यह स्थिति वित्तीय प्रबंधन की गंभीर खामियों और निर्धारित उद्देश्यों के लिए एकत्रित धनराशि का सही उपयोग न होने को दर्शाती है।