गोवा की धीरियो बुल फाइटिंग को वैध बनाने की मांग

गोवा की धीरियो बुल फाइटिंग को वैध बनाने की मांग

गोवा में सांस्कृतिक और पर्यटन कारणों से सांडों की लड़ाई जिसे स्थानीय भाषा में धीरियो या धीरी नाम से जाना जाता है, को वैध बनाने की मांग उठती रही है। गोवा के लोग इसे वहां की संस्कृति का अहम हिस्सा मानते हैं। प्रतिबंध के बावजूद, गोवा के कुछ गाँवों में यह प्रथा अभी भी जारी है।

धीरियो या धीरी की उत्पत्ति और प्रकृति:  

  • यह पुर्तगालियों के समय से गोवा का एक पारंपरिक खेल है जिसमें दो विशेष रूप से पाले गए तथा प्रशिक्षित बैल / सांड, शक्ति प्रदर्शन की प्रतियोगिता में शामिल होते हैं।
  • लड़ाई के दौरान सांड एक-दूसरे से भिड़ते हैं तब आपस में सिर टकराते हैं और पीछे खड़े ट्रेनर लड़ने के लिए उनमें जोश भरते हैं। जो भी सांड लड़ाई के दौरान अखाड़े से बाहर निकल जाता है या भाग जाता है, माना जाता है कि वह लड़ाई हार गया है। यह लड़ाई कुछ मिनट से लेकर 1 घंटे से ज्यादा वक्त तक चल सकती है।
  • यह स्पेनिश बुलफाइटिंग से भिन्न है क्योंकि इसमें कोई मैटाडोर (एक बुलफाइटर जिसका काम सांड को मारना होता है) या अनुष्ठानिक हत्या शामिल नहीं है। याद रहे स्पेन में यह लड़ाई तब खत्म होती है जब किसी जानवर की मौत हो जाती है।

सांस्कृतिक महत्त्व:

  • यह चर्च से संबंधित समारोहों एवं कृषि उत्सवों का अभिन्न अंग है तथा यह एक लोकप्रिय सामाजिक आयोजन है। यह स्थानीय अनुयायियों को आकर्षित करता है।

खेल का आयोजन:

  • गाँव में भोज या फसल कटाई के बाद के उत्सवों के दौरान धान के खेतों या फुटबॉल मैदान में आयोजित किया जाता है।

विधिक स्थिति: 

  • सितंबर 1996 में सांडों की लड़ाई के दौरान एक हिंसक सांड ने जेवियर फर्नांडीस नाम के शख्स को मार डाला था। इस घटना के बाद सांडों की लड़ाई का विरोध शुरू होने लगा और एनजीओ पीपल फॉर एनिमल्स ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
  • इसे वर्ष 1997 में बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया था। 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
  • याद हो जल्लीकट्टू (तमिलनाडु में खेले जाने वाला पारंपरिक खेल जिसमें बैलों को नियंत्रित किया जाता है) को पशु क्रूरता के कारण वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन बाद में वर्ष 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की संस्कृति का हिस्सा मानते हुए इस खेल को जारी रखने की अनुमति दी।जिसके बाद से इसको वैध बनाने की मांग ने अधिक जोर पकड़ा है।

परीक्षा बिंदु (मुख्य तथ्य)

  • धीरियो – गोवा का पारंपरिक बुल फाइटिंग खेल, पुर्तगाल काल से प्रचलित।
  • विशेषता – स्पेनिश बुलफाइटिंग से अलग, इसमें न मैटाडोर होता है, न सांड की हत्या।
  • सांस्कृतिक महत्व – धार्मिक व कृषि उत्सवों का हिस्सा, सामाजिक आयोजन।
  • विधिक स्थिति – 1997 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित; सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय बरकरार रखा।
  • तुलना – जल्लीकट्टू (तमिलनाडु) को 2014 में प्रतिबंधित किया गया, लेकिन 2023 में पुनः अनुमति मिली।

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