- तुवालु प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा द्वीपीय देश है, जिसकी आबादी 10,000 से भी कम है।
- यह देश जलवायु परिवर्तन विशेषकर समुद्र के बढ़ते जलस्तर से के गंभीर प्रभावों से जूझ रहा है।
- वैज्ञानिक अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2050 तक तुवालु पूरी तरह जलमग्न हो सकता है। इस खतरे को देखते हुए तुवालु की सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के साथ वर्ष 2023 में एक ऐतिहासिक समझौता किया, जिसे “फालेपिली यूनियन संधि” कहा जाता है।
- इस संधि के तहत 2024 से हर वर्ष 280 तुवालु नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी रूप से बसने, काम करने और अध्ययन करने की अनुमति दी जाएगी।
- इस पहल को दुनिया का पहला सुनियोजित राष्ट्रीय जलवायु पलायन माना जा रहा है।
- इस योजना के तहत वीजा आवेदन प्रक्रिया में देश की लगभग आधी आबादी 5,157 नागरिकों ने पंजीकरण कराया।
- यह घटनाक्रम न केवल जलवायु संकट की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि छोटे देश अब बड़े देशों के सहयोग से अपने नागरिकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं।
- तुवालु, जिसे पहले एलिस द्वीप के नाम से जाना जाता था, नौ प्रवाल द्वीपों से मिलकर बना है और यह दुनिया के सबसे छोटे देशों में शामिल है। ऐसे में, यह समझौता तुवालु जैसे कमजोर देशों के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग कितना आवश्यक है।
