त्रिपुरा पूर्ण साक्षर तीसरा राज्य

त्रिपुरा पूर्ण साक्षर तीसरा राज्य

  • इस उपलब्धि को प्राप्त करने की दिशा में उल्लास कार्यक्रम (नव भारत साक्षरता कार्यक्रम) की प्रभावी भूमिका रही।

उल्लास कार्यक्रम के बारे में

  • यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसकी शुरुआत राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अंतर्गत शिक्षा को समावेशी, न्यायसंगत एवं सतत बनाने की दिशा की गई थी।  उल्लास (Understanding of Lifelong Learning for All in Society: ULLAS)
  • इसे नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (New India Literacy Program) के नाम से जाना जाता है।
  • इसका उद्देश्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन वयस्कों को शिक्षित करना है, जिन्हें औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिल पाया।
  • इस योजना का उद्देश्य केवल साक्षरता प्रदान करना नहीं है, बल्कि यह आजीवन शिक्षा, महत्वपूर्ण जीवन-कौशल एवं सामाजिक उत्तरदायित्व को भी बढ़ावा देती है।
  • योजनावधि : वर्ष 2022 से 2027 तक
  • इस योजना का  वित्तीय परिव्यय 1037.90 करोड़ रुपए है जिसमें केंद्र एवं राज्य की हिस्सेदारी क्रमशः 700 करोड़ व 337.90 करोड़ रुपए है।
  • इस योजना के पांच घटक हैं जिनमें – आधारभूत साक्षरता एवं संख्या का ज्ञान, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, बुनियादी शिक्षा, व्यावसायिक कौशल व सतत शिक्षा शामिल हैं।

योजना की प्रमुख विशेषताएँ

  • स्वैच्छिकता पर आधारित कार्यान्वयन : इस योजना का क्रियान्वयन स्वैच्छिक भागीदारी के माध्यम से किया जाता है जिससे नागरिकों में कर्तव्यबोध एवं समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न होती है।
  • प्रौद्योगिकी का प्रयोग : दीक्षा (DIKSHA) पोर्टल के ‘Education for All’ खंड और ULLAS मोबाइल ऐप के माध्यम से शिक्षार्थियों को स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री तक पहुँच प्रदान की जाती है।
  • प्रयोगात्मक शिक्षण : यह योजना स्वयंसेवक शिक्षकों को अनुभवात्मक शिक्षण विधियाँ अपनाने के लिए प्रेरित करती है जिससे शिक्षण अधिक प्रभावशाली व व्यावहारिक बनता है।
  • मान्यता एवं प्रमाणपत्र : शिक्षार्थियों व शिक्षकों दोनों को उनके प्रयासों के लिए प्रमाणपत्र प्रदान किए जाते हैं जो उन्हें भविष्य में भी सीखते रहने के लिए प्रेरित करते हैं।

निष्कर्ष

  • उल्लास- न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (NILP) एक साक्षरता कार्यक्रम से कहीं बढ़कर एक आंदोलन और उज्ज्वल भविष्य और सशक्त नागरिकों की दिशा में एक अभियान है। इसका  मानना है कि साक्षरता एक मौलिक मानवाधिकार है। इससे जुड़े शिक्षार्थी न केवल पढ़ना-लिखना सीखते हैं बल्कि अपने जीवन, आजीविका व सामुदायिक स्तर पर महत्वपूर्ण बदलाव लाने में भी सक्षम होते हैं।

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