काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 बर्ष पूर्ण

काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 बर्ष पूर्ण

  • काकोरी ट्रेन एक्शन के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में स्मरण किया जाता है।
  • 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के निकट काकोरी गांव के पास यह ऐतिहासिक घटना घटी। इसका पृष्ठभूमि 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड और 1922 में महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन को अचानक समाप्त कर दिए जाने से जुड़ा था। इन घटनाओं से अनेक युवा निराश हो गए और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक नए मार्ग की तलाश की। इन्हीं युवाओं द्वारा अक्टूबर 1924 में कानपुर में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन किया गया।
  • HRA की स्थापना में रामप्रसाद बिस्मिल, योगेश चंद्र चटर्जी और सचिन नाथ सान्याल प्रमुख व्यक्ति थे। जनवरी 1925 में इस संगठन ने अपना घोषणा पत्र ‘क्रांतिकारी’ जारी किया, जिसमें भारत के संयुक्त प्रांतों में संगठित सशस्त्र क्रांति के माध्यम से एक संघीय गणराज्य स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया। संगठन ने हिंसा और क्रांतिकारी गतिविधियों को केवल आवश्यक प्रतिक्रिया के रूप में उचित ठहराया।
  • इसी संगठन से जुड़े रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, मुकुंदी लाल, बनवारी लाल और चंद्रशेखर आजाद ने 9 अगस्त 1925 को काकोरी कांड का नेतृत्व किया। इस घटना में भारतीय क्रांतिकारियों ने शाहजहांपुर से लखनऊ जाने वाली नंबर 8 डाउन ट्रेन पर काकोरी गांव के निकट हमला किया। उनका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की धनराशि को जब्त करके स्वतंत्रता संग्राम के लिए संसाधन जुटाना था।
  • काकोरी कांड के बाद ब्रिटिश सरकार ने व्यापक दमन चक्र चलाया। अनेक क्रांतिकारी गिरफ्तार किए गए, जिनमें से 17 को कारावास, 4 को आजीवन कारावास की सजा दी गई और रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाकउल्ला खान, रोशन सिंह एवं राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी दी गई। यह घटना क्रांतिकारी आंदोलन के लिए एक बड़ी चुनौती सिद्ध हुई।
  • वर्ष 1928 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) रखा गया। यह परिवर्तन उस समय युवाओं में बढ़ती समाजवादी विचारधारा की लोकप्रियता को दर्शाता है। इसके प्रमुख सदस्यों में चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, शिव शर्मा, जयदेव कपूर और विजय कुमार सिन्हा शामिल थे। HSRA ने सामूहिक नेतृत्व अपनाया और समाजवाद को अपने आधिकारिक लक्ष्य के रूप में स्वीकार किया।
  • HSRA के प्रमुख कार्यों में 1927 में साइमन कमीशन का विरोध प्रदर्शन, 1928 में जेपी सांडर्स की हत्या, 1929 में वायसराय इरविन ट्रेन बम धमाका तथा भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम धमाका शामिल हैं।
  • 1930 के दशक तक ब्रिटिश दमन ने HSRA को विखंडित कर दिया। इसके बावजूद HRA और HSRA ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद और समाजवादी विचारधारा को एकीकृत किया और युवाओं के नेतृत्व में अहिंसक संघर्ष के साथ-साथ एक वैकल्पिक मार्ग भी प्रस्तुत किया।

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