- जुलाई 2024 में मानस हेल्पलाइन शुरू की गई जिसका एक वर्ष पूरे हो गया है।
मानस (मादक-पदार्थ निषेध सूचना केंद्र)
- यह पहल जुलाई 2024 में गृह मंत्रालय के तहत नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य नशीली दवाओं के खतरे से प्रभावी रूप से निपटना और समाज को नशामुक्त बनाना है।
- मानस (मादक-पदार्थ निषेध सूचना केंद्र) नागरिकों के लिये NDPS अधिनियम के तहत नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों की रिपोर्ट करने और नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, उपचार तथा पुनर्वास हेतु समर्थन प्राप्त करने का एक सुरक्षित और गुमनाम मंच है।
- याद रहे पिछले एक बर्ष की अवधि के दौरान 70,000 से अधिक नागरिकों ने मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध खेती की रिपोर्ट करने या पुनर्वास सहायता प्राप्त करने के लिए इस हेल्पलाइन का उपयोग किया है।
भारत में नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के लिये क़ानूनी ढाँचा
- संविधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 47 औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर, मादक पेय और हानिकारक दवाओं के सेवन पर प्रतिबंध लगाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय: भारत ने स्वापक औषधियों पर एकल अभिसमय, 1961 (1972 प्रोटोकॉल द्वारा संशोधित), मन:प्रभावी पदार्थों पर अभिसमय, 1971, तथा स्वापक औषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार निवारण अधिनियम, 1988 पर हस्ताक्षर किए हैं।
- भारत के प्रमुख कानून: औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम, 1985 स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1988 (अवैध तस्करी की रोकथाम हेतु) ।
- अन्य प्रमुख पहलें:
- प्रोजेक्ट सनराइज (2016) – पूर्वोत्तर राज्यों में इंजेक्शन द्वारा मादक पदार्थ लेने वाले लोगों (PWID) में HIV के बढ़ते प्रसार को नियंत्रित करने हेतु शुरू की गई पहल। यह सुरक्षित इंजेक्शन प्रथाओं, परामर्श और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता पर केंद्रित है।
- नशा मुक्त भारत अभियान – राष्ट्रव्यापी जागरूकता और रोकथाम कार्यक्रम, जो मादक पदार्थों के उपयोग और इसके सामाजिक-आर्थिक दुष्प्रभावों को रोकने के लिए सामुदायिक पहुँच और सहभागिता पर आधारित है।
- ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (SIMS) – नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा विकसित ऑनलाइन पोर्टल, जो मादक पदार्थों से संबंधित ज़ब्ती, अपराधियों और अपराधों का केंद्रीकृत डेटाबेस प्रदान करता है, ताकि एजेंसियों के बीच त्वरित सूचना आदान-प्रदान हो सके।
- नशामुक्ति केंद्र – AIIMS के राष्ट्रीय नशा निर्भरता उपचार केंद्र (NDDTC) और विभिन्न राज्यों द्वारा संचालित केंद्र, जो नशे के आदी व्यक्तियों को परामर्श, चिकित्सा उपचार और सामाजिक पुनःएकीकरण की सुविधाएँ प्रदान करते हैं।
प्रमुख मादक द्रव्य उत्पादक क्षेत्र

- गोल्डन क्रीसेंट – अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान से मिलकर बना यह क्षेत्र विश्व का प्रमुख अफीम उत्पादन केंद्र है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे सीमावर्ती राज्यों पर पड़ता है, जहाँ से तस्करी के मार्ग गुजरते हैं।
- गोल्डन ट्राएंगल – लाओस, म्यांमार और थाईलैंड के संगम पर स्थित यह क्षेत्र हेरोइन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। म्यांमार अकेले ही विश्व के कुल हेरोइन उत्पादन में लगभग 80% योगदान देता है। इसकी तस्करी के प्रमुख मार्ग लाओस, वियतनाम, थाईलैंड और भारत से होकर गुजरते हैं, जिससे पूर्वोत्तर भारत विशेष रूप से प्रभावित होता है।