
- श्रीलंका के वस्काडुवा गाँव में स्थित सुभूति विहाराय मंदिर के पास 21 जुलाई 2025 को अशोक स्तंभ की एक प्रतिकृति का अनावरण किया गया है।
- इस स्तंभ की आधारशिला 28 जनवरी 2024 को भारत के उच्चायुक्त श्री सन्तोष झा और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) के सचिव शार्टसे खेंसुर जुंगचुप चोडेन रिंपोछे द्वारा रखी गई थी।
- मंदिर प्रशासन ने इस स्तंभ को सम्राट अशोक के श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु किए गए महान योगदान की स्मृति में स्थापित किया है।
- यह स्तंभ 18 महीनों में बनकर तैयार हुआ है, जिससे सम्राट अशोक के योगदान को श्रद्धांजलि दी जा सके जो अब तक कम याद किए जाते हैं।
- भारत के उच्चायुक्त ने इस अवसर पर कहा कि यह पहल भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को और मजबूत करती है।
- सितंबर 2020 में भारत ने श्रीलंका के लगभग 10,000 बौद्ध मंदिरों और शिक्षा संस्थानों में सौर ऊर्जा उपकरणों की स्थापना के लिए 1.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की थी।
- भारत सरकार ने हाल ही में पाली भाषा को “शास्त्रीय भाषा” का दर्जा दिया है और भारतीय उच्चायोग प्राचीन पाली ग्रंथों जैसे ‘नाममाला’ और ‘बलवठारो’ के प्रकाशन को बढ़ावा दे रहा है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की श्रीलंका यात्रा के दौरान भारत ने अनुराधापुरा पवित्र नगर परियोजना को समर्थन देने की घोषणा की और गुजरात के देवनीमोरी से भगवान बुद्ध के अवशेषों को श्रीलंका में प्रदर्शित करने की पेशकश की।
- इससे पहले भी भारत ने सारनाथ और कपिलवस्तु से पवित्र अवशेषों को श्रीलंका में श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु भेजा था।
- जब हांगकांग में भगवान बुद्ध के अवशेषों की नीलामी की खबर आई, तब भारत सरकार ने तत्काल हस्तक्षेप कर इसे अवैध घोषित किया और उन अवशेषों को भारत वापस लाने की मांग की, क्योंकि ये अवशेष 1898 में पिपरहवा, उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुए थे।
- अवशेषों की भारत वापसी के बाद श्रीलंका सहित दुनिया भर के श्रद्धालु उन्हें सम्मान देने के लिए भारत आ सकेंगे।
- वस्काडुवा स्थित श्री सुभूति विहाराय को इस स्तंभ स्थापना के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यहां भगवान बुद्ध के असली अवशेष सुरक्षित रखे गए हैं, और इस मंदिर के महा नायक थेरो की भारत के प्रति विशेष श्रद्धा रही है।