
- दिल्ली में हाल ही में आयोजित ड्रैगनफ्लाई सर्वेक्षण के दौरान यमुना जैव विविधता उद्यान में पहली बार पीली-पूंछ वाली ऐशी स्किमर दर्ज की गई।
- पहचान (Identification)
यह ड्रैगनफ्लाई की एक प्रजाति है, जो लिबेलुलिडे (Libellulidae) परिवार से संबंधित है।
इसे सामान्यतः ब्लू पर्चर, येलो-टेल्ड ऐशी स्किमर, ब्लू पर्स्यूर और ब्लू चेज़र के नाम से जाना जाता है।
वैज्ञानिक नाम: Potamarcha congener
यह अपने समूह Potamarcha की दो प्रजातियों में से एक है। दूसरी प्रजाति है Potamarcha puella।
इसे कॉमन चेज़र (Common Chaser) या स्वैम्पवॉचर (Swampwatcher) के नाम से भी जाना जाता है। - अभिन्यास (Appearance):
- “Yellow tail” का आशय इसके मुख्यतः पीले रंग के उदर (abdomen) से है, जिस पर काले धब्बे होते हैं।
- “Ashy” का संबंध इसके थोरैक्स (वक्ष) से है, जो हमेशा धुंधले या बर्फीले आवरण (pruinosed) जैसा दिखाई देता है।
विशेषताएँ (Characteristics)
नर और मादा के रूप में स्पष्ट अंतर देखा जाता है, विशेषकर वयस्क अवस्था में। - नर (Male):
वयस्क नर के थोरैक्स और उदर के पहले आधे हिस्से पर नीला पाउडर जैसा आवरण (pruinescence) होता है। - चेहरे का रंग सामान्यतः जैतून-पीला (olivaceous yellow) होता है।
- आँखें ऊपर से लाल-भूरी और नीचे से नीलापन लिए धूसर होती हैं।
- मादा (Female):
मादा के थोरैक्स के किनारों पर पीली और काली धारियाँ होती हैं। - उदर काले रंग का होता है, जिस पर मटमैले नारंगी धब्बे दिखाई देते हैं।
- इनके उदर के आठवें खंड (segment) पर विशेष पंखनुमा संरचनाएँ (flaps) होती हैं, जिनका उपयोग अंडे देने की प्रक्रिया में किया जाता है।
- आवास (Habitat)
यह सामान्यतः स्थिर जलाशयों के आसपास पाई जाती है, जैसे कि छोटे तालाब, दलदली क्षेत्र और धान के खेत। - वितरण (Distribution)
इसका वितरण दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और ओशिनिया तक फैला है। - इसे भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में पाया जाता है।
- भारत में, यह मुख्यतः उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में दर्ज की गई है।
- व्यवहार और आहार (Behavior and Diet)
इसका जीवन परभक्षी (predatory) होता है, और यह छोटे कीटों की शीर्ष शिकारी मानी जाती है। - इसमें इतनी तीव्र दृष्टि होती है कि यह 15 मीटर तक दूर शिकार को पहचान सकती है।
- नायड्स (naiads) या अपरिपक्व ड्रैगनफ्लाई जल के भीतर छोटे जलीय जीवों का शिकार करती हैं।
- वयस्क ड्रैगनफ्लाई उड़ते हुए छोटे कीटों को पकड़कर खाती हैं।
- संरक्षण स्थिति (Conservation Status)
IUCN रेड लिस्ट के अनुसार इसे Least Concern (संकट का सबसे कम जोखिम) श्रेणी में रखा गया है। - महत्त्व (Significance)
ड्रैगनफ्लाई और डैम्सलफ्लाई जैव-संकेतक (Bioindicators) माने जाते हैं, जिनकी उपस्थिति आर्द्रभूमि (Wetlands) के स्वास्थ्य को दर्शाती है। - इनके लार्वा चरण को स्वच्छ और ऑक्सीजन युक्त जल की आवश्यकता होती है।
- लार्वा और वयस्क दोनों ही मच्छरों के जबरदस्त शिकारी होते हैं, जिससे ये पारिस्थितिकी संतुलन और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
- त्वरित तथ्य (Quick Facts)
कलिंदी और कमला नेहरू रिज क्षेत्र ने मिलकर दिल्ली में पाए जाने वाले ड्रैगनफ्लाई की प्रजातियों की आधी से अधिक संख्या दर्ज की है। - दिल्ली में लगभग 51 प्रजातियों की ओडोनेट्स (Odonates – ड्रैगनफ्लाई और डैम्सलफ्लाई) पाई जाती हैं।